NEWS: दाखिले बढ़ाने के लिए स्टेट लेवल पीईटी या सीएटी जरूरी, बोले- इंजीनियरिंग कॉलेज संचालक की मांग,पढें खबर
भोपाल। प्रदेश में बीई में दाखिलों की संख्या हर साल कम होती जा रही है। 2020-21 में भी यह संख्या पिछले साल के बराबर तक नहीं पहुंच सकी है। ऐसे में कॉलेज संचालक प्री इंजीनियरिंग टेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट (एटीपीआई) की पिछले दिनों हुई बैठक में कॉलेज संचालकों ने कहा कि महाराष्ट्र सहित कई राज्य अपनी परीक्षाएं आयोजित करते हैं। ऐसे में मप्र में भी यह परीक्षा कराई जानी चाहिए।
यदि सरकार पीईटी कराने पर सहमत न हो तो एटीपीआई ने अंडर ग्रेजुएशन स्तर के सभी कोर्स में एडमिशन के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीएटी) का प्रपोजल भी तैयार किया है। कॉलेज संचालकों का कहना है कि जेईई को लेकर अभी ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं में अधिक जागरूकता नहीं है। वे समझते हैं कि जेईई का आयोजन आईआईटी में दाखिले के लिए होता है। इसके परीक्षा सेंटर भी कम ही होते हैं। मप्र में 2013 में अंतिम बार पीईटी हुई। इस दौरान बीई में एडमिशन करीब 72 हजार एडमिशन हुए थे। वर्तमान सत्र 2020-21 में अब तक 29 हजार 109 दाखिले हुए हैं।
एडमिशन की संख्या 3 साल से 30 हजार के आसपास
पीईटी में शामिल होते थे मप्र से सवा लाख से ज्यादा
मध्यप्रदेश में राज्य स्तरीय परीक्षा होना जरूरी है। हमारा यही सुझाव है कि पीईटी हो या फिर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट हो। इससे ही छात्र संख्या बढ़ सकेगी। पीईटी में मप्र सवा लाख से अधिक छात्र शामिल होते थे। लेकिन जेईई में इतने छात्र शामिल नहीं हो पाते। अन्य राज्य भी अपने स्तर पर परीक्षाएं करा रहे हैं। जेईई को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में अधिक रुझान नहीं रहता है।
केसी जैन, अध्यक्ष, एटीपीआई मप्र