NEWS : गहलोत सरकार की आर्थिक सेहत बहुत खराब, प्रत्येक नागरिक दबा है हजारों रुपये कर्ज के नीचे, पढें खबर
जयपुर l कोविड-19 ने प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार की आर्थिक सेहत को पूरी तरह से बिगाड़कर रख दी है l हालांकि अनलॉक के बाद अब सरकार के राजस्व में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है l लेकिन कोविड-19 के कारण बदले हालात में राजस्थान के प्रत्येक व्यक्ति पर करीब पचास हजार रुपए का कर्ज आ गया l मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में सरकार का राजस्व घाटा 27858 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है l
प्रदेश पर 3.79 लाख करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका है. 7.5 करोड़ की कुल आबादी के हिसाब से अनुमान लगाए तो राज्य के हर व्यक्ति पर 50533 रुपए का कर्ज है. यह अब तक का सबसे अधिक है. आने वाले बजट से पहले गहलोत सरकार ने अपनी वित्तीय सेहत की छमाही रिपोर्ट सार्वजनिक की है l
प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.56 और अप्रत्यक्ष कर संग्रह 34.64 प्रतिशत कम रहा-
राजस्थान फिसकल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट के तहत जारी की गई इस रिपोर्ट में सरकार ने अप्रैल से और सितंबर तक अपनी आमदनी और खर्चे का ब्यौरा सार्वजनिक किया है. आमदनी और खर्च के अंतर को राजस्व घाटा माना जाता है. इस अवधि में आमदनी 55096 करोड़ रुपये और खर्च 83055 करोड़ रुपये रहा. इसमें पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले इस बार सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.56 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष कर संग्रह 34.64 प्रतिशत कम रहा.
यूं समझें राजस्थान के आर्थिक गणित को-
- लंबे लॉकडाउन के कारण कारोबार ठप रहा. इसके कारण सरकार को मिलने वाले टैक्स में भारी गिरावट आई और उसे घाटा उठाना पड़ा.
- केंद्रीय कर 17101 करोड़ के मुकाबले 15541 करोड़ रुपये मिल पाया. इससे भी आर्थिक सेहत बिगड़ गई.
- राज्य सरकार के अपने कर राजस्व में 32% की गिरावट रही. इसने कोढ़ में खाज का काम किया.
- कोविड-19 के कारण हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आर्थिक मदद बढ़ाई गई. इस पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ा.
कर राजस्व कम होने के साइड इफेक्ट्स-
6 महीने में राजकीय कोष घाटा 27000 करोड रुपए तक पहुंच गया है. इसके साइड इफेक्ट भी अब दिखाई देने लग गए हैं. हालात यहां तक पहुंच गये कि सरकार को कोविड काल की शुरुआत में कर्मचारियों के वेतन में कटौती तक करनी पड़ी. कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का अंबार लग गया. इससे राज्य के बड़े प्रोजेक्ट्स की गति धीमी हो गई. क्योंकि सरकार इस वित्तीय वर्ष में अपनी अधिकतम सीमा से अधिक कर्ज ले चुकी है l