NEWS : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राजस्थान की तीन हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार, पढें खबर
जयपुर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली राजस्थान की 3 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इनमें बेटी बचाओ-पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दों के जरिए देशभर में अपनी पहचान बना चुके राजसमंद के प्रगतिशील समाजसेवक श्याम सुंदर पालीवाल समेत मशहूर लोकगायक और सिंधी सारंगी महारथी लाखा खान और पाली के साहित्यिक सफर के राही अर्जुनसिंह शेखावत शामिल हैं। पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए यह सभी लोग जमीनी स्तर पर काम करने वाले हैं।
पाली के अर्जुनसिंह शेखावत को मिलेगा पद्मश्री-
राजस्थानी भाषा व साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने पर पाली के 87 वर्षीय साहित्यकार अर्जुनसिंह शेखावत को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। शहरवासियों ने शेखावत को फोन कर पद्मश्री मिलने की बधाई दी। राजस्थान भाषा व साहित्य को जीवन समर्पित करने वाले शेखावत ने अपने जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी। इसके बाद वे बीडीओ बने। इस बीच उनका साहित्य प्रेम बढ़ता गया। राजस्थानी भाषा और संस्कृति व आदिवासी जीवन पर लिखे साहित्य के कारण यह पुरस्कार मिला है। वे अब तक 22 पुस्तकें लिख चुके है तथा कई पुस्तकों का अनुवाद और संपादन किया है। इस तरह उनके साहित्य की संख्या 50 तक पहुंच गई।
पर्यावरण संरक्षण के लिए राजसमंद के श्यामसुन्दर पालीवाल को पद्मश्री
निर्मल गांव पिपलांत्री के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल को केन्द्र सरकार की ओर से पद्मश्री से नवाजा जाएगा। पालीवाल को राजसमंद जिले के निर्मल ग्राम पिपलांत्री में जलग्रहण व पर्यावरण संरक्षण की विभिन्न परियोजनाओं, नवाचारों, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर सम्मानित किया जाएगा। श्याम सुंदर पालीवाल की 'कौन बनेगा करोड़पति' में भी सराहना हो चुकी है। उनके गांव को देखने के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं। राहुल गांधी भी श्याम सुंदर पालीवाल के कार्य की सराहना कर चुके हैं। पालीवाल ने ग्रामीणों के सहयोग से सरपंच रहते हुए जलग्रहण और पर्यावरण की योजनाओं में जनसहयोग से पूरे इलाके में हजारों पेड़ लगवाने का काम भी किया है। यहां हर बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाने का रिवाज शुरू किया।
सिंधी सारंगी के महारथी है लाखा-
लोकसंगीत के सुरीले स्वरों और सिंधी सारंगी की मिठास से लाखा खान ने देश दुनिया में अलग पहचान बनाई है। जोधपुर के फलौदी तहसील के राणेरी गांव रहने वाले लाखा ख़ान उन्होंने अपनी पुरखों की विरासत को संभाले हुए देश के साथ-साथ विदेशों में भी कार्यक्रम दिए। लाखा खान को सिंधी सारंगी का महारथी कहा जाता है। उनकी सिंधी सारंगी से निकलने वाले स्वर श्रोताओं के कानों में मिश्री घोलने का काम करते है। लाखा खान जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल और जोधपुर रिफ फेस्टिवल में भी नामचीन कलाकारों के साथ अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके l