NEWS : कई मायने में अनूठा, अद्भुत एवं ऐतिहासिक रहा कल्याण महाकुंभ, तीन माह पहले ही शुरू हो गई थी तैयारियां, पढ़े रेखा खाबिया की खबर
निंबाहेड़ा। यूं तो प्रथम से चतुर्दश कल्याण महाकुंभ तक प्रतिवर्ष के आयोजन में उत्तरोत्तर प्रगति व उत्साह देखने को मिला, लेकिन पिछले दो वर्षों के कोरोना काल में वेदपीठ द्वारा कल्याण महाकुंभ की महग औपचारिकता निभाई गई, किन्तु सप्तदश कल्याण महाकुंभ कई मायने में अद्भुत, अनुठा और ऐतिहासिक रहा। वेदपीठ के पदाधिकारियों के अनुसार इस महाकुंभ को भव्यता प्रदान करने के लिए तीन माह पूर्व से ही तैयारियां प्रारंभ कर दी गई थी। जिसके फलस्वरूप ज्येष्ठ पूर्णिमा से आषाढ़ कृष्णा अष्टमी तक आयोजित महाकुंभ के दौरान प्रत्येक अनुष्ठान में नई उंचाईयों को साबित किया। जिनमें सूर्याेपसना को लेकर 51 कुण्डीय पंच दिवसीय महायज्ञ में 1500 से अधिक यजमानों ने आहूतियां देकर विश्व शांति की कामना की। वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ परिक्रमा कर स्वयं को धन्य किया। दूसरी ओर महाकुंभ के प्रथम दिवस निकाली गई शोभायात्रा में पहली बार अवंती नगरी के भस्म रमैया भक्त मंडल के 75 सदस्यों द्वारा दी गई मन भावन प्रस्तुति के साथ ही वैदिक विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत मल्लखम्ब का प्रथम बार प्रदर्शन आकर्षण का केन्द्र रहा।
पुराणों की श्रंखला वेदपीठ का ध्येय-
श्री कल्लाजी वेदपीठ द्वारा अष्टादश पुराण के दर्शन एवं श्रवण का श्रद्धालुओं को अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिवर्ष अलग अलग पुराणों की कथा आयोजन किया जाता है। संभवतया देश यह प्रथम वेदपीठ है, जिसके माध्यम से इस वर्ष पहली बार आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दौर्गादत्ती के श्री मुख से भविष्य पुराण कथा का आयोजन हजारों श्रद्धालुओं के लिए विशेष श्रद्धा एवं आकर्षण का केन्द्र रहा।
संतों, महंतों और विभूतियोंने किए ठाकुरजी के दर्शन-
कल्याण महाकुंभ के अंतिम दिवस आषाढ़ कृष्णा अष्टमी को वेदपीठ पर विराजित ठाकुर श्री कल्लाजी सहित पंच देवों के दिव्य दर्शन के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्री कल्लाजी के सेवक, गादीपति, संत-महंत पहुंचे। वहीं पुराण मर्मज्ञ आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दौर्गादत्ती, बड़ीसादड़ी के गोपाल सत्संग आश्रम के स्वामी सुदर्शनाचार्य, मेवाड़ राज घराने के महाराज कुमार लक्ष्यराजसिंह, सांसद सीपी जोशी, नपाध्यक्ष सुभाष शारदा, पूरण आंजना, श्रीचन्द कृपलानी, अशोक नवलखा सहित कई जनप्रतिनिधियों विशेषकर विभिन्न क्षेत्रों से आए रेबारी व रायका समाज के श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के दर्शन कर स्वयं को धन्य किया।
सातों दिन आयोजित भजन संध्याओं ने भक्ति सरीता प्रवाहित की। महाकुंभ के दौरान सातों दिन संध्या वेला में आयोजित भक्ति संध्या में भजनानन्दी स्वर लहरियों के फलस्वरूप कई भजन गायकों ने समा बांध कर श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। इस दौरान ऐसा लगा मानो द्युलोक में भक्ति रस की सरीता प्रवाहित हो रही हो।
अपनी भव्यता के साथ संपन्न-
कल्याण महाकुंभ के आयोजन में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष से रूप सहयोग देने वाले विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों, कल्याण नगरी वासियों, प्रशासन व प्रेस के प्रति वेदपीठ की ओर से कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा गया कि भव्यतम सफलता का संपूर्ण श्रेय हर प्रकार के सहयोग देने वाले कल्याण नगरी वासियों एवं कल्याण भक्तों को जाता है।