NEWS: प्रेम,भाईचारे और इंसानियत का सबक देता है माहे रमजान, पढ़िए चीफ रिपोर्टर मुश्ताक़ अली की ये खबर
खुदा की राह में खुद को समर्पित कर देने का पाक महिना रमजान ना सिर्फ अल्लाह की रहमतो और बरकतो की बारिश का मोका है बल्कि पूरी दुनिया को प्रेम-भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है इस पाक महीने में अल्लाह अपने बन्दों पर रहमतो का खजाना लुटाता है रोजे में भूखे प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने वालो के गुना माफ़ हो जाते है इस्लाम की पांच बुनियादों मे से रोजे का ख़ास महत्त्व है ये पांच बुनियाद है सबसे पहले कलमा यानी की अल्लाह को एक मानना और नबी मोहम्मद साहब को अल्लाह का रसूल, दूसरा नमाज- सभी मुसलमानो के लिए नमाज पड़ना जरूरी है।
तीसरा रोजा- रमजान के दोरान भूखे प्यासे रहकर खुदा की इबादत में रोजा रखना फर्ज है चोथा जकात- सभी मुसलमानों पर गरीबो को दान देना जरूरी है जकात अपनी आमदनी का 2.5% देना होता है पांचवा और आखरी हज-अपनी पूरी उम्र में एक बार हज पर जाना फर्ज है मानव जाति को संयम और आत्म नियंत्रण का संदेश देने वाले रमजान के रोजे का महत्त्व आज के इस दोर में और भी बड गया है भूख प्यास और इंसानी ख्वाइशो के ईद गिर्द घुमती लोगो की जिन्दगी में रोज तीनो चीजो पर नियन्त्रण रखने की साधना है रमजान का महिना इसलिए भी अहम है क्यों की अल्लाह ने इसी महीने हिदायत की सबसे बड़ी किताब पवित्र कुरान शरीफ को जमीन पर अवन्तरित (भेजी गई) किया था
रमजान का महिना तमाम इंसानों के दुःख दर्द भूख प्यास को समझने की सलायत भी पैदा करता है जामा मस्जिद के पेश ईमाम सद्दाम हुसैन साहब ने रमजान के बारे में और विस्तार से बताते हुए कहा की साल के बाहर महीनों में सबसे ज्यादा यह महिना अफजल है इबादत से भी और समाधि इतबार से भी क्योंकी इसमें पुरे महीने के रोजे रखे जाते एवं रोजे फर्ज है तथा इस पुरे महीने रात को नमाज (तरावीह) भी पड़ी जाती है जिसको सुन्नते मुक्कदस (पड़ना जरूरी है) कहा जाता है। तो वो सुन्नत है