NEWS: नीमच जिले के गांव कानाखेड़ा में पहली बार काले गेहूँ की खेती, किसान को हुआ अधिक मुनाफा, पढें मोहन नागदा की खबर
नीमच जिले के गाँव कानाखेड़ा के किसान गोविंद नाग दा के खेत पर इस वर्ष पहली बार डॉ. आर.के मेनारिया जो कि (ज्ञानोदय ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट ,नीमच) में सीड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष है ,के मार्गदर्शन में काले गेहूँ की खेती सफल हुई तथा किसान को अधिक मुनाफा हुआ
मेनारिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सुनील पिता गोविंद नागदा (कानाखेड़ा),ज्ञानोदय कॉलेज में सीड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र है तथा वे सुनील से 3-4 वर्षो से परिचित है और उन्ही के कहने पर सुनील के पिताजी ने सुनील को बीएससी सीड टेक्नोलॉजी में प्रवेश दिलवाया तथा काले गेहूँ की खेती भी श्री मेनारिया के द्वारा ही मोहाली (पंजाब)के N.a.b.i,नेशनल एग्री फ़ूड एंड बायो टेक्नोलॉजी द्वारा मंगवाए गए तथा 3 भीगा में 36 कुंटल का उत्पादन लिया गया ,जिसकी कटाई से पहले ही किसानों द्वारा खरीदी के लिए प्री बुकिंग हो गयी है
काले गेहूँ देखने मे काले तथा बैंगनी होते है इनके लगभग सभी गुण साधारण गेहूँ की तरह ही होते है लेकिन रंग एंथोसायनिन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण काले होते है
साधारण गेहूँ में एंथोसायनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम(पास पर मिलियन)होती है जबकि काले गेहूँ में एंथोसायनिन की मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है एंथ्रोसैनिन एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट तथा एंटीबायोटिक है जो दिल की बीमारियों जैसे हार्ट अटैक ,कैंसर,शुगर,मानसिक तनाव,घुटनो का दर्द,एनीमिया, अनिद्रा,इत्यादि रोगों में काफी कारगर साबित होता है काले गेहूँ के रंग एवम स्वाद सामान्य गेहूँ से थोड़ा ही अलग होता है लेकिन स्वास्थ्य के हिसाब से ये बेहद ही पोष्टिक होता है
काले गेहू का समर्थन मूल्य लगभग 3500 रुपये कविंटल होता है लेकिन वर्तमान में मध्य प्रदेश में इसका सफल उत्पादन होने के कारण इसका मूल्य 80-100 रुपये किलो ग्राम के हिसाब से बिक रहा है ,काले गेहू की यह एक रोग प्रतिरोधी तथा किट प्रतिरोधी प्रजाति है जो कि किसानों के लिये वरदान साबित हुई है एवं श्री गोविंद नागदा ने काले गेहूँ की खेती में किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग नही किया बल्कि पूर्ण जैविक खेती को अपनाया
मेनारिया ने काले गेहूँ की खेती के सफल उत्पादन को ज्ञानोदय कॉलेज के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया एवम अगले सत्र में नीले गेहूँ की खेती करने का दावा किया तथा बीएससी सीड टेक्नोलॉजी एवम बायोटेक्नोलॉजी के अन्य विद्यार्थियों को भी काले गेहूँ के खेत पर फील्ड विजिट कराकर काले गेहूँ की खेती करने के लिए प्रेरित किया ,मेनारिया के साथ वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर कपिल पाटीदार एवम बायोटेक्नोलॉजी विभाग से सुश्री कविता कंडारा उपस्थित थे
आस -पास के गांव के लोगो ने भी गोविंद नागदा के इस प्रयास की सराहना की ,गोविंद नागदा सत्र 2016 में स्ट्राबेरी की खेती भी कर चुके है तथा भारी मात्रा में उत्पादन भी ले चुके है वैसे किसान गोविंद नागदा हमेशा ही कृषि के क्षेत्र में कुछ नया सोचते रहते हैं एवं नया करने की उनके अंदर एक जिज्ञासा बनी रहती है