SPECIAL REPORT : बंगला-बगीचा क्षेत्र में निवासरत हजारों नागरिकों को जटिल नियमों में बदलाव की उम्मीद, जनता ने कहा- शिवराज का समाधान अधूरा, 150 सालों से काबिज लोगों को नहीं मिल रहा मालिकाना हक, पढ़े महावीर सैनी की खबर
नीमच। शहर के बंगला-बगीचा क्षेत्रों में निवासरत हजारों नागरिकों को व्यवस्थापन बोर्ड के जटिल नियमों में बदलाव की उम्मीद है। जनता का कहना है कि वर्ष 2017 में शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार ने जो समाधान किया है वह अधूरा समाधान है। व्यवस्थापन के लिए बहुत ही जटिल व भ्रामक नियम बनाए गए हैं। शहर के प्रबुद्ध नागरिकों व अभिभाषकों ने इन नियमों में बदलाव कर जनता को बड़ी राहत देने की मांग सरकार से की है। उन्होंने बताया कि यदि नियमों में बदलाव नहीं होता है तो बंगला व बगीचा क्षेत्रों में निवासरत नागरिक व्यवस्थापन बोर्ड तक पहुंचकर आवेदन जमा नहीं कराएंगे। व्यवस्थापन बोर्ड तक 4 साल की अवधि में महज 2 हजार आवेदन ही पहुंचे। नियमों में संशोधन नहीं हुआ तो आने वाले कई वर्षों तक इन आवेदनों की संख्या 2 हजार पर ही ठहर जाएगी। यहां 150 सालों से काबिज लोगों को अब तक भूमि व भूखंडों पर मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। नियमों में सरलता होगी तो नागरिक स्वतः ही व्यवस्थापन बोर्ड तक पहुंचेंगे।
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बंगला-बगीचा क्षेत्र में निवासरत लोगों की पीड़ा-
‘नागरिकों को स्वयं की भूमि पर मकान निर्माण की अनुमति नहीं मिलने से परेशानी होती है। बंगला-बगीचा क्षेत्रों में गत कई सालों में नपा के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से नागरिकों ने नव निर्माण किए हैं। भूखंडों से संबंधित मूल दस्तावेज होने के बाद भी नागरिकों की सुनवाई नहीं हो रही है। व्यवस्थापन बोर्ड में बैठे अधिकारी-कर्मचारी मनमानी करते हैं। समस्या के समाधान के बाद भी नागरिकों को राहत नहीं मिली है। लीज रेंट सहित अन्य तरह के टैक्स जनता पर थोपे जा रहे हैं जो उचित नहीं है। सरकार को नियमों में सरलीकरण कर जनता को बड़ी राहत देनी चाहिए। - अनिल सुराह, बंगलावासी
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‘स्वयं की भूमि व भूखंडों पर मालिकाना हक के लिए जनता को परेशान होना पड़ रहा है। प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने 2017 में केबिनेट में मसौदा पारित कर समस्या का समाधान किया था। लेकिन इसकी जटिल प्रक्रिया व व्यवस्थापन बोर्ड के कड़े नियमों के कारण आज तक समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। सरकार ने नागरिकों को स्वयं की भूमि व भूखंडों पर किरायेदार बनाने की तैयारी की है। पूर्व में हमारे बुजुर्गों ने जमीने खरीदी थी। अब हमें फिर से नपा में राशि जमा कर जमीन पर किरायेदार बनना पड़ रहा है। सरकार ने सिर्फ राजस्व कमाने की मंशा को ध्यान में रख समस्या का समाधान किया है। जनता की समस्या व हैसियत से सरकार को कोई सरोकार नहीं है। - मनोज शर्मा, बंगलावासी