BIG NEWS : नगरीय निकाय चुनाव में गरमाया बंगला-बगीचा समस्या का मुद्दा, अभिभाषक अमित शर्मा ने कहा- सत्ताधारी पार्टी के गले की हड्डी बना संघर्ष समिति का आंदोलन, विपक्षी पार्टियां भी लगातार कर रही है संपर्क, पढ़े खबर
नीमच। नगर पालिका के चुनाव सर पर है और दूसरी तरफ बंगला-बगीचा संघर्ष समिति का आंदोलन भी रफ्तार पकड़ रहा है। नीमच नगर पालिका परिषद के चुनाव में बंगला बगीचा क्षेत्र की जनता निर्णायक भूमिका में नजर आ रही है। जहां एक ओर सत्ताधारी पार्टी के नुमाइंदे बंगला-बगीचा क्षेत्र में घुसने से कतरा रहे हैं। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी को इस मुद्दे में फायदा नजर आ रहा है। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार लगातार बंगला बगीचा संघर्ष समिति के सदस्यों से सम्पर्क साध उन्हें इस बात का विश्वास दिलाने पर लगे हैं कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह स्थानीय स्तर पर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे। सत्ताधारी पार्टी को बंगला बगीचा समस्या का जो समाधान हुआ है उसका सीधा सीधा नुकसान होता नजर आ रहा है।
यह बात बंगला-बगीचा संघर्ष समिति के अमित शर्मा (एडवोकेट) ने कही। उन्होंने बताया कि सीधे तौर पर बंगला-बगीचा क्षेत्र के वोटर 11 वार्डाे को प्रभावित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त अन्य लोगों ने भी बंगला-बगीचा क्षेत्र में भूखण्ड भवन ले रखे हैं। ऐसे में यह मुद्दा सत्ताधारी पार्टी के गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है। पार्षद पद के उम्मीदवारों से इस मुद्दे पर जवाब देते नहीं बन रहा है।
बंगला-बगीचा क्षेत्र की जनता सत्ताधारी पार्टी भाजपा के प्रत्याशियों से पूछ रही है कि जब हमारे पास रजिस्ट्री नामांतरण है तो फिर हम अवैध कैसे! जहां एक और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अवैध कब्जा धारियों को मालिक बना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बंगला-बगीचा क्षेत्र की जनता जिनके पास रजिस्ट्री एवं नामंत्रण हैं उन्हें बेघर करने की योजना बना रहे हैं। यह कहां का न्याय है। जनता के यह सवाल सत्ताधारी पार्टी के नुमाइंदों पर भारी पड़ रहे हैं और इन सवालों पर उनसे जवाब देते नहीं बन रहा है। जिन्होंने व्यवस्थापन करवा लिया है वह भी सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवारों से काफी नाराज नजर आ रहे हैं और उनके द्वारा व्यवस्थापन के नाम पर जो अपनी मेहनत की कमाई रजिस्ट्री नामांतरण होने के बावजूद शासन को देनी पड़ी उससे खासे नाराज हैं।
बंगला-बगीचा संघर्ष समिति के सदस्य एडवोकेट अमित शर्मा ने बताया कि हम लगातार जनता को जागरूक करने में लगे हैं और अब भी सत्ताधारी पार्टी के नुमाइंदे नहीं जागते हैं तो हम क्रॉस वोटिंग पर भी विचार कर सकते हैं।