देवास। जिले में खिवनी अभ्यारण अंतर्गत इको विकास समितियों के सदस्यों को बहु इंधनीय धुआं रहित चूल्हे वितरित किये जा रहे हैं। खिवनी अधीक्षक राजेश मंडवलिया ने बताया कि अभ्यारण के आसपास 2 किलोमीटर की परिधि में लगभग 40 गांव है तथा यहाँ के ग्रामीण जलाऊ लकड़ी के लिए जंगल पर निर्भर रहते हैं। चूंकि अभ्यारण वन्य जीवों के लिए संरक्षित क्षेत्र है तथा क्षेत्र में वन्य प्राणियों का मूवमेंट भी रहता है। जिसके कारण हमेशा मानव-वन्यप्राणी द्वन्द का डर बना रहता है।
ग्रामीणों की जलाऊ लकड़ी पर निर्भरता कम करने के लिए पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली इंदौर स्थित इन्फिनाइट एन्वाइरन्मेंट सॉल्यूशन संस्था के सहयोग से प्रोजेक्ट आंनद के तहत समिति सदस्यों को धुआं रहित चूल्हे वितरित किए जा रहें हैं। इन चूल्हों की ये खासियत है कि इनमे खाना बनाने के लिए सामान्य घरेलू चूल्हे की तुलना में 50 से 55 प्रतिशत कम लकड़ी की आवश्यकता होती है, लकड़ी के जलने से निकलने वाला धुंआ भी लगभग 70 प्रतिशत कम होता है। साथ ही चूल्हे को जरूरत के अनुसार आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं।
इंदौर स्थित पर्यावरण प्रेमी संस्था इन्फिनाइट एन्वाइरन्मेंट सॉल्यूशन के प्रतिनिधि आनंद शर्मा एवं प्रदीप शर्मा ने बताया कि इन विशेष प्रकार के चूल्हों का निर्माण भारत सरकार के भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा किया गया है। हमारा उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के साथ जंगल पर जैविक दबाव को कम करते हुए मानव वन्यप्राणी द्वन्द को कम करना है। इन चूल्हों में सामान्य चूल्हों की तुलना में लगभग 70 प्रतिशत कम धुआं होता है। जिससे धुएं से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी कम होगी। इनके उपयोग से होने वाली लकड़ी की बचत को कार्बन क्रेडिट के अन्तर्गत क्लेम किया जाएगा तथा उससे जो भी फायदा होगा उसे ग्राम विकास में उपयोग किया जाएगा।