खरगोन। मप्र शासन द्वारा जिले के जनजातीय जनपदों भगवानपुरा और झिरन्या में महाविद्यालय खोलने के निर्णय के बाद गुरुवार को उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव जेसी गुप्ता ने ऑनलाइन मीटिंग कर महाविद्यालय प्रारम्भ करने की दिशा में रूपरेखा निर्धारित की है। महाविद्यालय के प्राचार्य आरएस देवड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवानपुरा में कला व वाणिज्य के साथ विज्ञान संकाय भी प्रारम्भ किया जाएगा। जबकि झिरन्या में कला संकाय के साथ महाविद्यालय प्रारम्भ होगा। भगवानपुरा में कला संकाय में हिंदी, अंग्रेजी, राजनीति, इतिहास, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र औए भूगोल के विषय भी शामिल किए गए हैं। इसी तरह विज्ञान संकाय में भौतिकी विज्ञान, रसायनशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, प्राणीशास्त्र के साथ गणित विषय के साथ स्नातक प्रारम्भ होंगे। जबकि झिरन्या में कला संकाय में हिंदी, अंग्रेजी, राजनीति, इतिहास, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र व भूगोल के विषय शामिल किए गए है।
अग्रणी महाविद्यालय करेगा प्रवेश की तैयारी-
अपर मुख्य सचिव गुप्ता ने जिले के अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य देवड़ा को जिम्मेदारी सौंपते हुए निर्देश दिए कि 7 जुलाई से प्रवेश के लिए ऑनलाइन च्वॉइस फिलिंग सम्बन्धित महाविद्यालय की प्रोफाइल शुल्क की जानकारी सहित अपडेट व लॉक कर सूचित करें। जिससें शासन विश्वविद्यालय से संबद्धता का अनुमोदन करा सकें। भगवानपुरा व झिरन्या के प्रारम्भ होने वाले महाविद्यालय के लिए फिलहाल अग्रणी महाविद्यालय के एक-एक वरिष्ठ प्राध्यापक को प्राचार्य का प्रभार दिया जाएगा। साथ ही महाविद्यालय में विद्यार्थी प्रवेश ले इसके लिए प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य को दी गई है। प्रारम्भ होने वाले दो महाविद्यालयों में शिक्षकों की व्यवस्था एक माह में करने के भी निर्णय बताएं गए है। 150-150 सीटों के साथ स्थानीय हायर सेकेंडरी विद्यालय में कक्षाओं का संचालन प्रारम्भ किया जाएगा।
भीकनगांव महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय के छात्रों को होगी सुविधा-
मप्र शासन द्वारा यह निर्णय भी लिय गया है कि भीकनगांव महाविद्यालय में जनभागीदारी से संचालित हो रहे वाणिज्य संकाय का पीजी अध्ययन अब शासन के ही सहयोग से होगा। इससे वाणिज्य संकाय के विद्यार्थियों को शुल्क में भारी सुविधा होगी। अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य देवड़ा ने बताया की जनभागीदारी से संचालित होने के कारण विद्यार्थियों से करीब 5 से 6 हजार रूपये का शुल्क लिया जाता था। अब शासन के सहयोग के कारण यह शुल्क लगभग 1500 रूपये तक या शासन द्वारा निर्धारित शुल्क पर प्रवेश दिया जाएगा।