देवास। जिले की बागली विधानसभा भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाती है। बागली विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी 8 बार विधायक रहे हैं। बागली विधानसभा जब से अस्तित्व में आई तब से आज तक करीब 11 बार यहां से भाजपा के अलग लोग विधायक रहे हैं। जबकि कांग्रेस से मात्र एक बार श्याम होलानी विधायक चुने गए थे।
इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों ने यहां पर नए चेहरों पर दांव खेला है। इस बार बीजेपी के मुरली भंवरा और कांग्रेस के गोपाल भोसले आमने-सामने हैं। इस सीट से कौन बाजी मारेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन बागली विधानसभा में इस बार मुकाबला काफी रोचक होने वाला है।
कांग्रेस को 20 सालों से जीत का इंतजार
पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कैलाश जोशी इस सीट से आठ बार विधायक रह चुके हैं, जबकि उनके बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी एक बार यहां से विधायक रह चुके हैं। हालांकि 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। लेकिन इस सीट पर बीजेपी की जीत का सिलसिला लगातार जारी है।
कांग्रेस को 1998 में केवल एक बार ही बागली विधानसभा सीट पर जीत मिली। 1998 में कांग्रेस के प्रत्याशी श्याम होलनी यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। ऐसे में कांग्रेस को पिछले 20 साल से अब तक यहां से जीत का इंतजार है।
पिछले चुनाव में बीजेपी के पहाड़ सिंह कन्नौजे ने चुनाव में जीत हासिल की थी। पहाड़ सिंह कन्नौजे को चुनाव में 89,417 वोट मिले थे जबकि, कांग्रेस के कमल वास्कले को 77,574 वोट आए थे। कन्नौजे ने यह मुकाबला 11,843 मतों के अंतर से जीता था। इस बार यहां से वर्तमान विधायक का टिकट काट दिया गया।