NEWS : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के चित्तौड़गढ़ सेवा केंद्र पर मनाया रक्षाबंधन का पावन पर्व, बीके आशा दीदी ने कहा- स्वयं को मर्यादाओं के अंदर बांधना ही सच्चा रक्षाबंधन मनाना है, पढ़े रेखा खाबिया की खबर 

वौइस् ऑफ़ मप्र

चित्तौड़गढ़। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के चित्तौड़गढ़ सेवा केंद्र पर रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया गया। इस कार्यक्रम में चित्तौड़गढ़ सेवा केंद्र प्रभारी राज् योगिनी बीके आशा दीदी ने सभा में उपस्थित सभी भाई बहनों को परमात्मा महा वाक्य सुनाए। उन्होंने रक्षाबंधन का अध्यात्मिक रहस्य समझाते हुए बताया कि रक्षाबंधन के पावन पर्व पर एक बहन अपने भाई को सर्वप्रथम तो टीका लगाती है फिर रक्षा का सूत्र बांधती है मुख मीठा कराती है और फिर भाई अपनी बहन को खर्ची में कुछ न कुछ अवश्य देता है तो इन सब नियम रिवाजों का आध्यात्मिक रहस्य है। दीदी ने बताया कि हम शरीर में ज्योति बिंदु आत्मा हैं तो हमें सदैव आत्म स्मृति टीका  लगाकर रखना है तथा परमात्मा रक्षा सूत्र बांधना  का अर्थ परमात्मा के प्यार में बंद कर स्वयं को सुरक्षित अनुभव करना है मुख मीठा करने का मतलब है हमें अपने जीवन में मधुरता का गुण अवश्य धारण करना चाहिए तथा परमात्मा को खर्ची में यही देने की अगर हमारे जीवन में कोई भी ऐसी कमी कमजोरी बुराई अवगुण है जो हमें भी दुखी करती है और हमारे द्वारा दूसरों को भी दुखी करती है तो अवश्य आज हम एक संकल्प लेकर हम उसे बुराई को अपने जीवन में से सदा के लिए दूर कर देंगे ।
 यदि इस प्रकार से हम रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाएंगे तो अवश्य ही हम सभी के प्रति स्नेही बन जाएंगे सहयोगी बन जाएंगे और परमात्मा शिव के साथ हर आत्मा हमारे लिए रक्षक का रूप बन जाएगी।
 कार्यक्रम में निंबाहेडा सेवा केंद्र प्रभारी बीके शिवली दीदी ने सभा में उपस्थित सभी भाई बहनों का धन्यवाद किया। तथा माउंट आबू से आई प्रतिज्ञा पत्र के द्वारा सभी भाई बहनों को प्रतिज्ञा भी कराई। प्रतापगढ़ सेवा केंद्र प्रभारी मीना दीदी ने भी सभी को अपना ईश्वरीय संदेश सुनाया तथा कपासन प्रभारी बीके मधु दीदी ने सभी को अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की। अनिता दीदी ने सभा में उपस्थित सभी भाई बहनों को राजयोग का अभ्यास कराया । गंगरार से आई ज्योति दीदी और सुमन बहन ने अपनी शुभकामनाएं रक्षाबंधन के प्रति सभी को अर्पित करने के पश्चात सभी भाई बहनों को परमात्मा रक्षा सूत्र बांधकर ईश्वरीय प्रसाद और ईश्वरीय वरदान दिया गया।

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