OMG ! पोल खोल खबर, मार्ग हो या गलियां, फिर भी प्रशासन को क्यूं नहीं नजर आ रहे हैं '''यमदूत''', पढें कैलाश शर्मा की खबर
छोटीसादड़ी नगर में मवेशियों का आतंक लोगों की मुसीबत बढ़ा रहा है। नगर की सड़कों पर आवारा मवेशियों का राज है। वहीं प्रशासन इन मवेशियों को पकड़ सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहा है। नगर की सड़कें हो या फिर अन्य गलियां या चौराहा, चहुंओर सड़कों पर मवेशियों का जमघट नजर आ जाएगा। लेकिन संबंधित प्रशासन को ये यमदूत नजर नहीं आ रहे हैं। हॉर्न बजाने के बाद भी जानवर सड़कों से नहीं हटते हैं। ऐसे में वाहन चालकों को वाहनों से उतरकर इन्हें सड़कों से हटाना पड़ता है, तब जाकर वो सड़क से गुजर पाते है। सड़कों पर धमाचौकड़ी करते आवारा जानवरो की समस्या यूं तो साल भर रहती है, लेकिन बारिश में समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। इसका एक बड़ा कारण चरागाह जमीनों पर अतिक्रमण ओर मालिकों द्वारा मवेशियों को भगा देना भी है। अधिकांश चरागाह जमीन अतिक्रमण की शिकार होने से पशुओं के चारे का संकट बढ़ गया है। सड़कों पर झुंड के रूप में जमा आवारा जानवर कई बार धमा-चौकड़ी करते रहने के कारण दुपहिया वाहनों से भी टकरा जाते हैं। इससे वाहनचालक तो हादसे का शिकार होते ही हैं। कई बार वाहनों की चपेट में आने से मवेशियों को भी जान से हाथ धोना पड़ता है। पूर्व में भी कई बार ऐसे हादसे घटित हो चुके हैं, लेकिन आवारा मवेशियों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।
इस संबंध में नगर पालिका के नुमाइंदों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आसपास गांव में गौशालाओं में मवेशियों को रखने के लिए जगह नहीं है। इस समस्या के बारे में कलेक्टर से बात की जाएगी तथा इनको अन्य गोशालाओं में सुरक्षित पहुंचाया जाएगा। अब सवाल उठता है कि गोशालाओं में जगह नहीं होने से पालिका प्रशासन कब कलेक्टर से बात करेगा तथा कौनसी गौशालाओं में कब इनको वहां पहुचाएगी या फिर ऐसे ही ये यमदूत सड़क पर हादसों का कारण बनते रहेंगे। पालिका के नुमाइंदा की इन बातों से लगता है कि शायद उनको लोगों की इस विकट समस्या से कोई सरोकार नहीं है और इन्हें किसी हादसे का इंतजार है।