उज्जैन। कर्नाटक बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण राशि वसूली मामले में कलेक्टर के आदेश पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दिया है। मामला कलेक्टर द्वारा दिए गए आदेश से जुड़ा है, जिसमें तहसीलदार द्वारा पारित किए गए वसूली संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया था। कलेक्टर ने तहसीलदार के खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए थे, हाईकोर्ट ने फिलहाल इस पर भी स्टे दे दिया है।
उज्जैन की फ्रीगंज स्थित कर्नाटक बैंक को लेकर घट्टिया के किसान नागूसिंह को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 9 लाख 90 हजार रुपये की राशि ऋण के तहत स्वीकृत की गई थी। राशि नहीं लौटा पाने के कारण बैंक द्वारा न्यायालय के माध्यम से प्रक्रिया अपनाई गई थी। तहसीलदार मधु नायक द्वारा आरआरसी जारी की गई थी। वसूली के लिए किसान की भूमि की नीलामी हुई। हालांकि 30 दिन की निर्धारित अवधि में किसान द्वारा राशि जमा कर देने पर नीलामी प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। नियमानुसार बिडर को पांच फीसद राशि दी गई।
किसान नागूसिंह के पुत्र अर्जुनसिंह ने जनसुनवाई के दौरान अधिकारियों को शिकायत की थी। कि बैंक ने उनसे अधिक राशि वसूल की है। बैंक अधिकारियों, दलालों द्वारा तहसीलदार से मिलीभगत कर उनसे धोखाधड़ी की गई है। इस पर कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लेकर जांच के बाद तहसीलदार के आदेश को निरस्त करते हुए किसान से वसूली गई अधिक राशि को लौटाने के आदेश दिए थे। साथ ही तहसीलदार के खिलाफ विभागीय जांच भी बैठाई थी। इस पर बैंक की ओर से हाईकोर्ट में याचिका (डब्ल्यूपी 12841-2023) दायर की गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गुरुवार को स्थगन आदेश जारी कर दिया।