नीमच। भारत देश त्योहारों का देश है । देश के अलग-अलग भागों में कई पुरातन संस्कृति आज भी जिंदा है तो कई समय के साथ-साथ विलुप्त होती गई। होली के दूसरे दिन अर्थात धुलेटी का आयोजन होता है जिसमें गैर निकल जाती है तो कहीं भिन्न बिना रंगों से एक दूसरे को लगाकर आपसे प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। वही रेवली देवली गांव में रंगों के साथ-साथ युवा एक दूसरे के कपड़े फाड़ कर भी होली मनाते हैं जिसमें सभी युवा एक दूसरे को रंग लगाने के बाद एक दूसरे के कपड़े फाढ़ते है। यह क्रम लगातार दिन भर चलता रहता है। उसके बाद शाम को गांव में जहां पर भी बच्चा जन्म लेता है वहां पर सभी के स्वल्पाहार की व्यवस्था की जाती है इस तरह इस बार गांव रेवली देवली में लगभग 52 से अधिक बच्चों ने जन्म लिया जिनकी उत्सव के रूप में परिवार द्वारा स्व ल्पाहारकर की व्यवस्था की गई जिसमें पूरे गांव के क्या बच्चे क्या बूढ़े और क्या युवा और महिलाएं सभी पूरे गांव में एक दूसरे के वहां स्वलपाहार के लिए जाते हैं। बच्चों के 30 से 40 के झुंड में गाने गाते हुए हाथों में थेलिया लेकर घर-घर जाते हैं तथा पूरे गांव में इसी तरह घूमने का दौर चलता रहता है। किसी के यहां बैंड बाजो के साथ तो कहीं ढोल ढामाके के साथ इस उत्सव को बड़ी धूमधाम तरीके से मनाया जाता है। साथ ही यह दौर देर रात्रि तक चलता रहता है।