BIG NEWS : नीमच की कृषि उपज मंडी और झालावाड़ के किसान, जब लहसुन लेकर पहुंचे तो हुआ कुछ ऐसा, जैसे ही मंडी कार्यालय को लगी घटना की भनक तो एक्शन में आए इंस्पेक्टर, जानिये क्या है पूरा मामला, पढ़े महेंद्र अहीर की खबर 

April 15, 2024, 3:50 pm




नीमच। शहर की कृषि उपज मंडी में राजस्थान के कुछ किसानों के साथ ठगी का मामला सामने अया है। यहां आड़तियों की मिलीभगत से हम्मालों ने इन किसानों को करीब 18500 रूपये का चुना लगाया है। इस संबंध में मंडी कार्यालय तक शिकायत भी पहुंची है।  झालावाड़ जिले के डूंगरगांव के किसान कन्हैयालाल ने बताया कि वह अपने साथी रामेश्वर सहित अन्य के साथ दिनांक 13.04.2024 को लहसुन लेकर नीमच मंडी आया था। उनकी नीलामी मंडी समिति द्वारा पारदर्शी तरीके से हुई थी। परंतु मौके पर मुझे जल्दी तौल भुगतान का लालच देकर आढतिया फर्म चांदमल मुकेश कुमार द्वारा मुझसे विक्रय अनुबंध पत्र स्वयं ले लिया गया। इसके बाद हम्मालों ने तौल कार्य के दौरान 55 किलो से कम वास्तविक रूप से तौल किया। परंतु कांटे पर कलाकारी कर 45 किलो दिखाया गया। मेरे द्वारा तौल के पश्चात भुगतान प्राप्त कर वजन को देखने पर अहसास हुआ कि मेरे साथ छल हुआ है। हम्मालों के द्वारा मेरे साथ धोखाधड़ी कर मुर्ख बनाकर अधिक उपज तौल कराया गया। हम्मालों के द्वारा मेरे साथ छल किया गया। हम्माल द्वारा इस कम तौल के 5800 रूपये भी ले लिये। वहीं फर्म के द्वारा भुगतान न करते हुए आढतियां द्वारा भी मेरे उपर दबाव बनाकर 2 प्रतिशत आढ़त का कटोत्रा किया गया एवं मेरे द्वारा विरोध करने पर फर्म के प्रतिनिधि द्वारा इसे नियम बताया और कहा कि यह सभी पर लागू होता है। किसान ने बताया कि मेरे साथ आने वाले साथियों के साथ भी इन हम्मालों ने यहीं घटना की और सभी के मिलाकर करीब 18500 रूपये ले लिए। इस संबंध में हमने मंडी कार्यालय में आवेदन सौंप शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मंडी इंस्पेक्टर समीर दास ने एक्शन लिया और किसानों द्वारा बताए गए हम्मालों को कार्यालय तलब किया। हम्मालों को फटकार लगाते हुए किसान से लिए रूपये वापस लौटाएं। इस पर किसान ने मंडी इंस्पेक्टर को धन्यवाद दिया।  मंडी प्रशासन की लापरवाही से जारी है आढ़त प्रथा-  पूरे प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में आढ़त प्रथा बंद हो चुकी है। बावजूद नीमच जिले की मंडियों में आढ़त प्रथा आज भी प्रतिबंध के बावजूद बदस्तूर जारी है। यहां के प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है कि यहां आज भी आढ़त प्रथा चल रही है और इस प्रथा की आढ़ में आढ़तियां और हम्माल मिलकर किसानों को चुना लगा रहे हैं। 

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