NEWS : अंतिम सफर को जाते हुए भी राजेश काग्या दे गए दो नेत्रहीनो को नई रोशनी, नेत्रदान बना परंपरा एक ही परिवार से 4 महीने में दो जोड़ी नेत्रदान, एंबुलेंस रुकवा कर बीच रास्ते में लिया नेत्रदान, पढ़े विशाल श्रीवास्तव की खबर
भवानीमंडी। नेत्रदान किसी को नई जिंदगी देने का बहुत बड़ा माध्यम है, साथ ही यह मृतक परिजन की आंखों को अमर बनाने का एक प्रयास है, यही कारण है कि भवानीमंडी में लगातार नेत्रदान के प्रति सकारात्मकता बढ़ती जा रही है, एवं नेत्रदान परिवार की परंपरा का एक हिस्सा बनता जा रहा है।
भारत विकास परिषद के नेत्रदान प्रभारी एवं शाइन इंडिया फाउंडेशन की ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने बताया कि, भवानीमंडी निवासी राजेश काग्या कुछ दिनों से कोटा के निजी चिकित्सालय में भर्ती थे एवं शनिवार को मृत्यु होने के बाद परिवारजन पार्थिव शरीर को कोटा से लेकर भवानीमंडी आ रहे थे, रास्ते में परिषद शाखा सचिव ओमप्रकाश गुप्ता की प्रेरणा से मृतक के भाई वीरेंद्र काग्या एवं परिवारजनों ने राजेश के नेत्रदान का निर्णय लिया, तुरंत सूचना देने पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड के द्वारा नेत्रदान प्राप्त किया गया। जिस समय परिवार में नेत्रदान के प्रति सहमति बनी उस समय तक एंबुलेंस कोटा पार करके दरा गांव तक पहुंच चुकी थी, सूचना मिलने पर एंबुलेंस को वहीं रोक कर डॉ कुलवंत गौड ने स्कूटर से दरा जाकर एंबुलेंस में ही नेत्रदान प्रक्रिया संपन्न करके कॉर्निया प्राप्त किया। मृतक राजेश काग्या को मोतियाबिंद के कारण कम दिखता था ऐसे में परिवारजनों को संदेह था कि इस स्थिति में नेत्रदान उपयुक्त रहेगा या नहीं, परंतु जब उन्हें जानकारी दी गई कि मोतियाबिंद एवं नजरदोष का नेत्रदान पर कोई प्रभाव नहीं होता है तो ऐसे में परिवारजन मृतक राजेश के नेत्रदान के लिए अत्यंत सहजता से तैयार हो गए। मृतक राजेश का कॉर्निया अच्छा पाया गया है, इसे आई बैंक जयपुर भिजवा दिया गया है जहां यह दो नेत्रहीनों को नई रोशनी दे सकेगा।
भारत विकास परिषद के अनुसार यह शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 81वाँ नेत्रदान है, जोकि पूरे झालावाड़ जिले में सबसे अधिक है एवं कोटा संभाग में कोटा के बाद सर्वाधिक है, जिसके माध्यम से 162 से अधिक नेत्रहीनों को नई रोशनी दी जा चुकी है, एवं इसके लिए नेत्रदान प्रभारी कमलेश दलाल को पिछले दिनों कोटा में आयोजित हाड़ोती गौरव सम्मान से संभागीय स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है। यह 4 महीनों में काग्या परिवार से प्राप्त दूसरा नेत्रदान है, जबकि इससे पहले दिसंबर 2022 में नवलकिशोर काग्या के देवलोकगमन होने के बाद भी परिवारजनों के द्वारा स्वयं पहल करके उनका नेत्रदान करवाया गया था। वहीं वीरेंद्र काग्या एवं परिवारजनों ने नेत्र उत्सरक डॉ कुलवंत गौड को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जनसाधारण से नेत्रदान के लिए आगे आने की अपील की है। वीरेंद्र काग्या के अनुसार भाईसाहब का नेत्रदान करवाकर उन्होंने एक संतुष्टि का भाव महसूस किया है, कि जाते-जाते भी भाईसाहब दो लोगों को नई रोशनी देने का एक परोपकार का बड़ा कार्य करके गए है।