चितौड़गढ़। प्रखर चिंतक व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय पर्यावरण गतिविधि प्रमुख गोपाल आर्य ने कहा कि समाज में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जनचेतना जगाने की सख्त आवश्यकता है और इसमें सामाजिक संस्थाएं अपनी महत्ती भूमिका निभा सकती है।
ये विचार उन्होंने भारत विकास परिषद द्वारा चेतना भवन में पर्यावरण चेतना विषय पर आयोजित बैठक में बोलते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे बड़ा कचरे का पहाड़ 77 हेक्टर क्षेत्र में दिल्ली में है जिसकी ऊंचाई कुतुबमीनार की ऊंचाई से 6 फीट मात्र कम है। आज देश में प्रति व्यक्ति के जीवन काल में 400 पेड़ की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में 28 वृक्ष ही हैं। हमारे लिए प्राकृतिक संसाधनों का दौहन चिंता का विषय है क्योंकि वृक्ष, हवा और पानी को किसी मशीन के जरिए पैदा नहीं किया जा सकता। बिजली बनाने के लिए कोयला निर्माण करने में लाखों वर्ष लगते हैं और यदि हमने पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले वर्षों में अकल्पित भयावह स्थिति निर्माण हो सकती है। उन्होंने परिषद द्वारा प्रति माह पर्यावरण चेतना रैली की प्रशंसा करते हुए कहा की आमजन व युवा पीढ़ी छोटे छोटे अभियान से ही जागृत हो सकती हे। इन्होंने कहा कि हम दिन भर में सौंदर्य प्रसाधन सहित अन्य सामग्री के उपयोग करते हुए कितना केमिकल उपयोग में लाते हे इसके बजाय बायोप्रोडक्ट के उपयोग को विकसित करना होगा।
इस अवसर पर भारत विकास परिषद के पूर्व संरक्षक एवं जन चेतना मंच के संरक्षक डॉ आई एम सेठिया, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष नवीन वर्डिया, महासचिव एन के जोशी, जन चेतना मंच के प्रांतीय अध्यक्ष हेमंत शर्मा, परिषद सदस्य सीता राम मालीवाल, चांद मल नंदावत, दिनेश खंडेलवाल, विनोद मेलाना, भगवान दास झंवर, विमला सेठिया, सीमा खंडेलवाल, साधना मेलाना आदि उपस्थित थे। हेमंत शर्मा ने जनचेतना मंच व नवीन वर्डिया ने संस्था की गतिविधियों से अवगत कराया।