खरगोन। स्वाध्याय परिवार ने खेलों के माध्यम से एकता के लिए स्टेडियम मैदान पर राज्य स्तरीय जयश्री क्रिकेट स्पर्धा का आयोजन किया। स्पर्धा में धार, हरदा, भोपाल, झाबुआ, बडवानी, खरगोन जिले के स्वाध्याई 70 युवा खिलाड़ी शामिल हुए। स्पर्धा का शुभारंभ गीता के 15वें अध्याय के पारायण व सूर्य नमस्कार से हुआ।
जय योगेश्वर..., गीता से क्या नाता है, गीता हमारी माता है..., कृष्णम वंन्दे जगदगुरुम, कृष्ण की भक्ति हमारी शक्ति... का जयघोष किया। खरगोन में इस तरह का पहली बार आयोजन हुआ। क्रिकेट खिलाड़ी खेलदिली (गेम स्प्रिट) से खेले। उनकी भावना “दूसरा दूसरा नहीं, मेरा देवीय भाई है“ की थी। खिलाड़ी ने अंपायर की चूक पर भी स्वयं को आउट करार दिया। उसका मानना था भगवान तो देख रहे हैं। स्पर्धा में ना कोई जीता, ना कोई हारा। सभी टीमों के खिलाड़ी संतुष्ट हुए। प्रदेश की एक टीम चुनी गई वह अगली स्पर्धा में खेलेगी।
पांडु रंग शास्त्रीजी के युवा विकास से प्रेरित है रमतोत्सव
आयोजन से जुड़े स्वाधायी लोगों ने बताया कृष्णा मेड प्ले डिवाइन। भगवान श्रीकृष्ण ने जिस तरह खेलो के माध्यम से संघ निर्माण कर सांस्कृतिक पुनरुत्थान किया, वैसे ही स्वाध्याय परिवार के प्रणेता पांडुरंग शास्त्री आठवलेजी ने युवाओं के सर्वागीण विकास के लिए रमतोत्सव व चरम संकीर्तन जैसे आयोजन दिए।
उन्हीं प्रयोगों में से एक है जयश्री शिल्ड क्रिकेट स्पर्धा। तुष्यन्ति च रमन्ति च। और खेलते जाओ खिलते जाओ जैसे गीता के सिद्धांतों को आत्मसात करने, संघर्षो को आनंद, उत्साह, अस्मिता और खुमारी के साथ सामना करो। ऐसे जीवनलक्षी विचार दादाजी ने डिवाइन प्ले सेंटर व युवा केन्द्रों के माध्यम से खेल खेल में युवाओं के जीवन में स्थिर किए है। उसी आनंद भाव का आयोजन किया।