कंजार्डा। इन दिनों पठार वासियों को पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जिन बोर वेलों ने गत वर्ष पानी पर्याप्त था। आज वे भी हिचकोले लेने लगी है। पानी के लिए ग्रामीण सुबह से इधर-उधर भटकते रहते है। पठार के किसानों की जमीनें बांध के निर्माण में गई उस के बाद आज भी पठार पीने के पानी के लिए तरस रहा है।इधर उधर से व्यवस्था कर ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग 2 किलो मीटर दूर सुदूर से पीने का पानी ला रहे है। पठार वासियों का दुर्भाग्य कहे या नेताओं की उदासीनता के कारण आज तक चमलेश्वर बांध का पानी पठार वासियों को नसीब नहीं हो सका। इस भीषण गर्मी में कई पानी के बोर सुख गए है जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोगो को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुएं बावड़ी भी सूखे पड़े है।इस वर्ष पीने के पानी की समस्या से ग्रामीणों को दो चार होना पड़ रहा है। पीने के पानी की व्यवस्था ग्रामीणों ने निजी कर रखी है। शासन की ओर से पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। निजी व्यवस्था कर रखी है वह भी डगमगा गई है। धाकड़ समाज की ओर की बोर वेल ने काफी समय पहले ही जवाब देदिया है। इधर उधर से नल चालक यशवंत मेहता ने पानी की व्यवस्था कर रखी है शासकीय व्यवस्था नहीं है यदि पानी की टंकी का निर्माण पुरानी पुलिस चौकी में होता तो आज पूरा गांव आसानी से पानी पिता। लेकिन तत्कालीन नीताओ की अनदेखी के कारण पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।