मनासा। समीपस्थ गांव नलखेड़ा में लगातार तीसरे वर्ष गांव के युवा कलाकारों द्वारा प्रतिदिन एक से बढ़कर एक रामलीला में विभिन्न पात्रों का अभिनय किया जा रहा है। श्री शिव शक्ति रामलीला मंडल के सदस्यों द्वारा प्रतिदिन रात 8 बजे से 11 बजे तक भगवान राम के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रसंगों का सजीव चरित्र चित्रण किया जा रहा है।
रामलीला के 12वें दिन मंच से कलाकारों ने रावण द्वारा कुंभकरण को जगाना, भगवान राम द्वारा कुंभकरण का वध करना, लक्ष्मण द्वारा मेघनाथ का वध करना एवं सती सुलोचना द्वारा अपने पति के वियोग में विलाप करते हुए यूध्द भूमि भगवान श्रीराम के सम्मुख पहुंच कर अपने पति का शरीर मांगने का सजीव मंचन किया गया। लंका पर विपत्ति आने के बाद कई वर्षो से गहरी नींद में सोने वाले अपने छोटे भाई कुंभकरण को लंका का राजा जगाने के लिए मंत्रियों को भेजता है। मंत्रियों द्वारा काफी प्रयास करने के बाद भी जब कुंभकरण महाराज नहीं उठते हैं तो ऐसे में भोजन लाकर उसकी खुशबू से कुंभकरण की नींद खुलती हैं। कुंभकरण द्वारा अपने भैया की आज्ञा अनुसार युद्ध भूमि में पहुंचकर भगवान श्रीराम से युद्ध करता है जहां भगवान उसका वध कर उद्धार करते हैं। कुंभकरण के मरने के बाद लंका का राजा अपने शक्तिशाली पुत्र मेघनाथ को युद्ध में भेजता है जहां शेषावतार लक्ष्मण उसका वध कर उद्धार करते हैं। अपने पति के मृत्यु के समाचार मिलने पर मेघनाथ की पत्नी सुलोचना विलाप करती हैं एवं मेघनाथ के कटे हुए सिर से बात करती हैं तो कटा हुआ शीश कहता है कि हे प्रिये मेरा धड़ युद्ध भूमि में भगवान श्रीराम के पास पड़ा है। अतः तुम उसे लाकर मेरा दाह संस्कार करो तभी मुझे मुक्ति मिल पाएगी। ऐसे में सुलोचना युद्ध भूमि में भगवान श्री राम के पास पहुंचती हैं एवं उनसे विनय अनुनय कर अपने पति का शरीर मांग उसका अंतिम संस्कार कर उसके साथ सती हो जाती हैं।
इस अवसर पर कुंभकरण चंद्र प्रकाश मोदी, रावण कमलेश शर्मा, मेघनाथ जितेंद्र शर्मा, लक्ष्मण संदीप पाटीदार, राम राहुल पाटीदार, सुलोचना भरत कनेरिया, विभीषण हरीश शर्मा, कवि जगदीशचंद्र शर्मा एवं मदनलाल शर्मा मंचन किया गया। इस दौरान बडी संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने रामलीला का आनन्द लिया।