रतलाम। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले का एक गांव ऐसा है। जहां रावण का अंत 6 महीने पहले ही हो जाता है। जिले के चिकलाना गांव में रावण की मूर्ति की नाक काटकर छह महीने पहले ही उसका प्रतीकात्मक अंत कर दिया जाता है। दरअसल, इस गांव में शारदीय नवरात्रि की बजाए गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में रावण के अंत की परंपरा है। वर्षों से चली आ रही इस अनोखी परंपरा में ग्रामीण मिट्टी से रावण की विशाल प्रतिमा बनाते हैं। जिसके बाद चैत्र नवरात्रि के दसवें दिन भव्य समारोह आयोजित कर भाले से रावण की नाक काटकर उसका अंत किया जाता है। जावरा क्षेत्र के चिकलाना कालूखेड़ा और अन्य कई गांव में इसी तरह चेत्र नवरात्रि के बाद रावण के वध की परंपरा निभाई जाती है।
आम तौर पर देश भर में शारदीय नवरात्रि के दौरान पड़ने वाले दशहरे पर बुराई के प्रतीक रावण का दहन करने की परंपरा निभाई जाती है। लेकिन रतलाम जिले के पिपलोदा तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों में पड़ने वाले चैत्र नवरात्रि के दशहरे पर रावण का वध करने की परंपरा है। ग्रामीण दशहरे के पहले ही रावण की मिट्टी की विशाल प्रतिमा बनाते हैं। जहां भव्य चल समारोह के आयोजन के बाद राम और रावण की सेना कार्यक्रम स्थल पर पहुंचती है और दोनों सेना के बीच वाक युद्ध भी होता है। जिसके बाद हनुमान बने पात्र ज्यादा से रावण की नाभि पर तीन बार वार भी करते हैं। जिसके बाद गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति भाले से रावण की नाक काट कर उसका वध करते हैं। जिसके बाद शारदीय नवरात्रि के दौरान आने वाले दशहरे पर यहां रावण का दहन नहीं किया जाता है।