दूदरसी। प्रदेश की भाजपा सरकार चाहे जनता को लुभाने के लिए कितनी ही घोषणाएं करें किन्तु जब तक अन्नदाता किसान दुःखी है इन सारी घोषणाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इस वर्ष सोयाबीन की फसल इतनी जोरदार खड़ी थी और किसानों के चेहरे पर खुशीयां साफ झलक रही थी किन्तु बरसात नहीं होने से फसल के साथ उनके चेहरे भी मुरझा गए हैं। किसानों ने सोयाबीन पिलाने की तैयारी की ही थी कि बिजली विभाग ने अघोषित कटौती शुरू कर दी। न तो सोयाबीन पिला पा रहे हैं और ना ही रात्रि में चैन की नींद सो पा रहे हैं। रात्रि में भी बिजली का दंश झेल रहे ग्रामीणों को चैन से नींद भी नसीब नहीं हो रही है। अल्प वर्षा के चलते कुओं में भी जलभराव कम हुआ है और थोड़ी बहुत सोयाबीन पिलाने के लिए जब किसान मोटर चलाता है तो पानी खेत में पहुंचने से पहले ही बिजली गुल हो जाती है। किसान करे भी तो क्या करे बेचारा थका हारा शिवराज मामा को कोसने के अलावा और क्या करें। चुनावी साल है फालतू लूटाने से तो अच्छा है किसानों को कम से कम 10 घण्टे बिजली मुहैया करा दे ताकि किसान अपनी थोड़ी सी भी फसल पिला सके तो यह इनके लिए पर्याप्त होगा।
कुछ किसानों ने अपना नाम न छापने की बात पर बोला कि हम स्वयं भाजपा के कार्यकर्ता है किन्तु यही हाल रहा तो भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएगी।
सही भी है सोयाबीन की लहलहाती फसलों को देखकर किसान बहुत खुश था कि इस वर्ष उनके उपर जो कर्जा है वह उतर जाएगा और परिवार की परवरिश भी अच्छी तरह से हो जाएगी किन्तु उनकी सारी आशाएं धूमिल हो गई है। यह फसल तो नष्ट हो गई है किन्तु अगली रबी की फसल भी नहीं हो पाएगी। क्योंकि कुएं, तालाब पोखर सभी सुखे पड़े हैं तो रबी की फसल भी पैदा नहीं होगी। किसानों के सम्मुख भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज मामा जो अपने आप को किसानों का लाडली बहनों का हिमायती बताते है सुखे की मार झेल रहे किसानों की नष्ट हो चुकी फसलों की गिरदावरी करा कर उचित मुआवजा देंगे।