बड़वानी। मेरा जन्म परतंत्र भारत में हुआ था। जब देश आजाद हुआ तो वर्ष 1952 में पहले आम चुनाव हुए। वो मैंने देखे हैं। यद्यपि मैं तब वयस्क नहीं हुआ था। 1956 में मध्यप्रदेश बना, तब से मैं निर्वाचन व्यवस्था का हिस्सा रहा हूं। सरकारी सेवा में होने के कारण मैं प्रायः मतदान दल का सदस्य रहता और निर्वाचन सम्पन्न करने में अपनी भूमिका निभाता। जब भी जैसे भी मतदान का अवसर आता तो मैं बिना चुके इसका लाभ उठाता। कभी इडीसी तो कभी पोस्टल बैलेट के माध्यम से मैंने मतदान किया। सेवानिवृत्ति के उपरांत मैं अब भी अपने मताधिकार के प्रति सजग हूं और प्रत्येक निर्वाचन में मतदान केन्द्र पर जाकर मतदान करता हूं। सभी नागरिकों को अपने मत का महत्व समझना चाहिए और निर्वाचन में इसका उपयोग करना चाहिए। ये बातें 85 वर्षीय मतदाता बी.एस. शालीय ने कहीं। अवसर था शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ तथा इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब के द्वारा संचालित की जा रही स्वीप एक्टिविटी के आयोजन का। प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा के मार्गदर्शन में कॉलेज के स्वीप दल द्वारा निरंतर स्वीप एक्टिविटीज की जा रही है।
कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया और स्वीप कैम्पस एम्बेसेडर वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि सर्वप्रथम वर्षा शिंदे ने शालीय के भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में दिये गये उनके दीर्घकालीन और सतत् योगदान के लिए उनका तिलक, आरती, पुष्पहार, शॉल, श्रीफल, मिष्टान्न आदि से सम्मान किया गया। शालीय ने रोचक ढंग से अब तक के अपने निर्वाचन संबंधी अनुभवों को साझा किया और सभी से विशेषकर युवाओं से अपने मताधिकार का उपयोग करने का आह्वान किया। इस अवसर पर कार्यकर्तागण सुरेश कनेश, उमेश किराड़, भियारी गुर्जर, अक्षय चौहान, डॉ. मधुसूदन चौबे सहित अनेक युवा उपस्थित थे।