दूदरसी। यहां स्थानीय दशहरा मैदान में सात दिवसीय श्री मद्भागवत गीता महापुराण का आयोजन हो रहा है और श्रोतागण श्री मद्भागवत गीता ज्ञान यज्ञ में अपनी आहूति देकर अपना जीवन धन्य कर रहे हैं।
आज गुरूवार को कथा के चौथे दिन व्यास गादी से महान भागवताचार्य ने हिरण्यकश्यप का वध एवं भक्त प्रह्लाद के जीवन पर सजीव चित्रण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हिरण्यकश्यप जैसे दैत्य के घर भक्त प्रह्लाद का जन्म हुआ तो प्रहलाद जन्म से ही श्री ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करने लगा यह बात हिरण्यकश्यप को नागवार लगी उसने प्रहलाद को मारने के लिए पहाड़ों से फैंकवाया सर्पों से डसवाया लेकिन असफल हुआ अंत में उसने पूछा कहां है तेरे भगवान तो प्रहलाद ने कहा वह तो सर्वव्यापी है आप में और मुझमें भी है क्या इस खंभे में भी है तो उसने कहा हां है तो हिरण्यकश्यप ने गदा से प्रहार किया और खंभ फाड़कर भगवान श्री नरसिंह ने अवतार लिया और हिरण्यकश्यप को उठाकर अपनी गोद में लिटाया और अपने नाखूनों से उसका पेट फाड़कर उसका वध किया और अपने भक्त प्रह्लाद को बचाया।
भागवताचार्य ने बताया कि हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या कर यह वरदान प्राप्त किया था कि तू न रात में न दिन में न घर में न बाहर न इंसान से न जानवर से मरेगा इसलिए भगवान श्री नरसिंह का अवतार हुआ वरदान की सीमा मर्यादा में ही उसका वध किया।
तत्पश्चात भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया वासुदेव पालने में भगवान श्री कृष्ण को लेकर जैसे ही भागवत पांडाल में पहूंचे पूरा पांडाल भक्ति रस में डूब गया और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की आवाज के साथ पूरा पांडाल नाचते लगा और अपने आराध्य देव भगवान श्री कृष्ण की एक झलक पाने को बेताब हुआ। तत्पश्चात 3 बजे आरती हुई और पंजेरी का भोग भगवान श्रीकृष्ण के लगाया गया और उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।