इंदौर। आध्यात्मिक संत नाना महाराज तराणेकर के जन्म ग्राम तराना स्थित श्री गुरु मंदिर में आचार्य शरद त्रिविक्रम पुराणिक ने 7 दिवसीय संगीतमय भागवत ज्ञान कथा की शुरुआत की। इस आयोजन में इंदौर स्थित संस्थान से जुड़े अनेक अनुयायी शामिल हो रहे हैं।
सुबह 9.30 से दोपहर एक बजे तक मराठी भाषा में चलने वाली कथा के पहले दिन शुक्रवार को उन्होंने भागवत की महिमा बताई। उन्होंने कहा सभी पौराणिक ग्रंथों में भागवतजी सर्वाधिक श्रेष्ठ है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने उनका स्वयं का तेज इस ग्रंथ में समाहित किया है। कलियुग में नाम श्रेष्ठ होता है।
आचार्यश्री ने गोकर्ण चरित्र तथा उसके अंतर्गत धुंधकारी को भागवत कथा सुनाकर मोक्ष प्रदान करने की कथा सुनाई। उन्होंने पांडवों का स्वर्गारोहण, भगवान का वराह अवतार धारण कर पृथ्वी को सागर से बाहर निकालने तथा हिरण्यकश्यप का वध इत्यादि अनेक प्रसंग सुनाए। रश्मि खोडके और सुमन जडे ने संगीत में आचार्यश्री के साथ दिया। हारमोनियम पर श्रीराम हाटकर तथा तबले पर जितेंद्र धर्माधिकारी थे। संहिता वाचन हरिश्चंद्र पुराणिक तथा किरण खोडके ने किया। सायंकालीन सभा में करुणा त्रिपदी तथा रश्मि खोडके का कीर्तन हुआ, जिसमें उन्होंने गणेशजी के प्रसंग सुनाए।