नीमच। संयम जीवन के पालन से आत्मा का कल्याण होता है।संयम दीक्षा लेने से पूर्व परिवार जनों की सहमति आवश्यक होती है।संसार के राग के त्याग बिना संयम जीवन का पालन नहीं होता। साधु-संतों के जीवन में उन्हें हर दिन नया नया अनुभव मिलता है। यहीं साधु साध्वी के जीवन में सच्चा आनंद होता है। संसार की समस्या के निदान के लिए धर्म वाणी का श्रवण करना चाहिए। सभी धर्म संयम पालन का संदेश देते हैं।यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि संसार में व्यक्ति को धन कमाने के लिए छल कपट माया का प्रयोग करना पड़ता है यही से पाप की शुरुआत होती है। एक चोर कहता है कि यदि वह चोरी नहीं करेगा तो चौकीदार पुलिस वकील का रोजगार छूट जाएगा। कि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। जीवन में अनेक दिनचर्या के दौरान मनुष्य से भूलवश जीव हत्या के पाप हो जाते हैं।अधर्म के निस्तारण के लिए व्यक्ति को प्रतिदिन धर्म तपस्या सामायिक उपवास आयम्बिल की तपस्या करना चाहिए ताकि जीवन में पुण्य भी बढ़ता रहे।इस संसार में राग ज्यादा होगा तो हमारा पुण्य कम होगा।
श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला।पूज्य आचार्य भगवंत का आचार्य पदवी के बाद प्रथम चातुर्मास नीमच में हो रहा है। उपवास, एकासना, बियासना, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद ,जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया,जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।
समय चक्र नहीं रुकता है और सभी हंस पड़े-
प्रवचन धर्म सभा के मध्य जब महाराज श्री ने कहा कि धर्म तत्व का ज्ञान बहुत विस्तार है इसे समझाने के लिए बहुत समय चाहिए लेकिन घड़ी यहां से हटा दो यह समय चक्र बहुत तेजी से चल रहा है धर्म वार्ता में बहुत विस्तार है समय बहुत लगेगा लेकिन आज समय कम है फिर कभी इस विषय को लेंगे और सभी हंस पड़े.....।