बड़वानी। विश्वास और दृढ़ आस्था पत्थर को भी भगवान बना देती है। मिट्टी हो या पत्थर यही आस्था हो तो ईश्वर का प्रतिबिंब नजर आता है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भवती में ओजस युथ क्लब के द्वारा बच्चों के प्रिय देव गजानन गणपति की मूर्ति निर्माण के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 100 बच्चों ने हिस्सा लिया।
ओजस क्लब के प्रभारी महेश शिंदे के अनुसार बिना कैमिकल रंगो के उपयोग के मिट्टी के गणेश जी बनाएंगे तो इससे प्रदूषण थमने के साथ ही हरियाली को भी बढ़ावा मिलेगा। इस कार्यशाला अंतर्गत बच्चों में छुपी प्रतिभा को तराशने हेतु बड़वानी निवासी पवन मंडलोई को आमंत्रित किया गया। कई विधाओं जैसे शास्त्रीय नृत्य,आर्ट्स एवं क्राफ्ट के पारंगत कलाकार सह प्रशिक्षक पवन मंडलोई बच्चों को ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण देने हेतु उपस्थित हुए।
सर्वप्रथम उन्होंने आधार स्थल पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर श्री गणेश मंत्र को उच्चारित किया। मूर्ति निर्माण के साथ ही गणेश जी को नवीन शीश मिलने की कथा के साथ सुनाई। उन्होंने बताया कि श्री गणेश बच्चों के प्रिय देव हैं और इनका निर्माण भी बहुत सरल है। मिट्टी के गणेश जी तैयार करने के लिए खेत की सूखी मिट्टी, गोंद और रुई की जरूरत पड़ती है। मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी को कई रूपों में बांटना पड़ता है। गणेश जी बनाने के लिए मिट्टी के दो गोलों को जोड़कर उसके पैर एवं हाथों को जोड़कर सूंड का निर्माण किया जाता है। सबसे पहले एक बड़ा गोला पेट के लिए, दो सामान्य गोले पैरों के लिए, दो छोटी गोली हाथों के निर्माण के लिए, एक गोली से मुख एवं उसमें कानों और सूंड को जोड़कर गणेश जी बनाए जाते हैं। प्रशिक्षक के सहयोग कर बच्चों ने श्रीगणेशजी की मूर्ति का निर्माण किया।
मंडलोई ने सभी के समक्ष बच्चों की प्रशंसा करते हुए कहा ष्आज आप लोगो का सहयोग देखकर अच्छा लगा,मिट्टी से मूर्ति निर्माण के साथ, मिट्टी के ही प्राकृतिक मिट्टी के रंगों से सजावट कर, औषधीय बीजों एवं अनाज का प्रयोग कर इसे सुंदरता प्रदान कर सकते है। आप पर श्री गणेश की कृपा बनी रहेगी। प्राचार्य असलम खान ने कहा कि स्वयं किए कार्य का आनंद ही अलग होता है,और आपके किए कार्य में पर्यावरण संरक्षण की सोच भी है, यह प्रसंशा का विषय है। इस अवसर पर कृषि विज्ञान के वरिष्ठ शिक्षक शफीक शेख ने छात्रों को बताया कि प्लास्टर ऑफ पेरिस और रासायनिक रंगों से जलीय जीवों और जल को हानि होती है, वर्तमान परिदृश्य में जल का प्रदूषण अत्यधिक बढ़ा है। अगर हम जल संरक्षण के लिए छोटे छोटे प्रयास करेंगे तो भविष्य में स्वच्छ जल को बचा पाएंगे। अंत में दशरथ वास्कले सर ने मूर्तिकार पवन मंडलोई जी का आभार प्रकट किया।