ग्वालियर। प्रदेश के 13 मेडिकल कालेज में संचालित होने वाली लैब को जल्द ही निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा, क्योंकि चिकित्सा शिक्षा आयुक्त द्वारा लगाई रोक को हटा दिया गया है। दो दिन पहले ही चिकित्सा शिक्षा आयुक्त द्वारा आदेश जारी करते हुए पूर्व में लगाई की रोक वाले आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके बाद निजी कंपनी की राह में आने वाली सभी अड़चनें समाप्त हो चुकी है। चुनाव के बाद यह कंपनी ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, दतिया, श्योपुर, शिवपुरी, रीवा, सागर, खंडवा, छिंदवाड़ा सहित विदिशा मेडिकल कालेज में चलने वाली पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी लैब का संचालन अपने हाथ में ले लेगी। कालेज व कंपनी के बीच हो चुका अनुबंधरू प्रदेश के मेडिकल कालेज और निजी कंपनी हिंदुस्तान अरनील क्लिनिकल लैब्स के बीच पहले ही अनुबंध हो चुका था, लेकिन 10 जुलाई को इस चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने इस पर रोक लगाते हुए गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की थी। असल में निजी कंपनी से हुए अनुबंध के अनुसार सरकारी कालेज की लैब में रेजेंट की उपलब्धता, मशीन और उनके संधारण का काम देखेगी, जबकि स्टाफ मेडिकल कालेज का ही काम करेगा।
निजी हाथ में देने के लिए यह दिया गया तर्क-
मध्यप्रदेश सरकार का दावा था कि, इस नई व्यवस्था से मरीजों को सहूलियत मिलेगी। सरकारी अस्पतालों में पैथोलाजी लैब की जांच में बार-बार केमिकल नहीं होने, मशीन खराब होने के कारण समय पर जांच नहीं हो पाती थी, जिससे मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। अब जो नई व्यवस्था शुरू होगी, उसमें निजी क्लीनिक जांच करेंगे। तुरंत आन लाइन रिपोर्ट देंगे। जांच की हार्ड कापी की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। महंगी और जटिल जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिसको लेकर प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों ने इस पर सहमति जता दी थी।