उज्जैन। करीब डेढ़ महीने पहले महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित एक कॉलोनी में निर्माण के दौरान खुदाई में प्राचीन खंडित नंदी की प्रतिमा और प्राचीन मंदिर की स्थापत्य कला मंजरी मिली थी। सूचना के बाद यहां पर काम रोक कर पुरातत्व विभाग को निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था। विभाग की रिपोर्ट में महाकाल क्षेत्र से आने वाले मलबे को यहां डालने का संदेह बताने के बाद अब सवाल महाकाल मंदिर मंदिर से मलबा फेंकने पर उठ रहे है। कहा जा रहा है कि मलबे के साथ संरक्षित रखे जाने वाली प्राचीन प्रतिमाएं कॉलोनी तक कैसे पहुंची।
श्री महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत मंदिर परिसर में खुदाई होने के बाद निर्माण कार्य किया जाना था। वहीं 24 सितंबर को थाना नानाखेड़ा क्षेत्र अंतर्गत इंदौर मार्ग पर स्थित तिरुपति प्राइड 30 कॉलोनी में खुदाई के दौरान करीब 10 वी- 11 वी शताब्दी की खंडित नंदी प्रतिमा, मन्दिर के शिखर का भाग मिला था। पुरातत्व की प्राचीन सामग्री मिलने के बाद यहां का काम रोककर प्रशासन के अधिकारी को सूचना दी थी। प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा बनाया था। वहीं प्रतिमाओं को विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित रखवा दिया गया था।
प्रशासन ने पुरातत्व विभाग को प्रतिमाओं की जांच के बाद रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में महाकाल क्षेत्र से मलबा आने के संकेत के बाद अब कई तरह के सवाल उठने लगे है। महाकाल मंदिर में विकास प्राधिकरण की ओर से कार्य देखने वाले इंजीनियर शैलेंद्र जैन ने चर्चा के दौरान कहा कि महाकाल मंदिर में तुड़ाई और मलवा फेंकने का काम संबंधित ठेके लेने वाली गार्डन पैराडाइज दिल्ली की कंपनी को दिया गया है। वैसे महाकाल क्षेत्र की खुदाई में जो भी प्राचीन प्रतिमाएं मिली है उन्हें सहेज कर रखा गया है। अन्य स्थान पर कौन सी प्रतिमाएं मिली है इसकी कोई जानकारी नही है।