उज्जैन। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उज्जैन में हुई दो अग्निकांड की घटनाओं ने शहर को कहीं-कहीं शंका और संकट में डाल दिया है। उसी दोष की निवृत्ति के लिए शहर के सिंहपुरी के ब्राह्मणों के द्वारा गुरुवार को हरिहर याग का आयोजन किया गया। सभी प्रकार के संकटों दुखों का शमन करने के लिए अलग-अलग वेदों की ऋचाओं के माध्यम से शांति अनुष्ठान किया।
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि पूर्णिमा तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में सिंहपुरी की प्राचीन होलिका दहन के समय प्रहलाद रुपी ध्वज का दग्ध (अग्नि में जलना) हो जाना और 15 मिनट के पश्चात श्री महाकालेश्वर के गर्भगृह में अग्निकांड की घटना होना। इसके अलावा इस कालखंड में अलग-अलग स्थान पर अग्निकांड की घटना होने से संकट की स्थिति बनी। इसके निवारण के लिए सिंहपुरी के वरिष्ठ जनो में ब्रह्म मंडली ने चर्चा की। चर्चा के दौरान संकट और अरिष्ट के निवारण के लिए प्रायश्चित विधि रूप में शांति याग की चर्चा की गई। जिसके अंतर्गत तय किया गया कि हरिहर और हर दोनों देवों की पूजा की जाए और यज्ञ आत्मक अनुष्ठान संपादित किया जाए। परिस्थिति जन्य जो दोष उत्पन्न हुआ है उसका शमन हो सके।
21 ब्राह्मणों ने किया अनुष्ठान
संकट व अरिष्ट निवृत्ति के लिए गुरुवार को आताल-पाताल भैरव मंदिर में 21 ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों के अलग-अलग विचारों के माध्यम से अभिषेक पूजन व दिव्य मंत्र के द्वारा आहुतियां प्रदान की गई। संकल्प यही रहा कि पूरे विश्व का कल्याण हो संकट व अरिष्ट निवृत हो, रोग दोष बाधा पीड़ा समाप्त हो। और भगवान शिव की कृपा से सुरक्षा बनी रहे। पं. उमाकांत शुक्ल के आचार्यतत्व में अनुष्ठान संपादित हुआ जिसमें पं. रूपम जोशी, पं. उत्कर्ष जोशी, पं. दुष्यंत त्रिवेदी, पं. अक्षत व्यास, पं. के वेद प्रकाश त्रिवेदी, पं. आयुष त्रिवेदी, पं. गोपाल व्यास, पं. देवांश दुबे, पं. अवधेश त्रिवेदी, पं. उत्सव मौजूद थे।