सेगांव। निमाड़ का सबसे बड़ा त्यौहार गणगौर पर्व चौत्र मास की नवरात्रि में एकादशी से जवारे रूपी माता छोटी छोटी टोकरियों में प्रत्येक गांव की वाडियो में बोये जाते है। एकादशी के दिन से ही प्रतिदिन रात्रि में महिलाओं द्वारा माता के झालरिये गीत गाकर माता की आराधना की जाती है।
गुड़ी पड़वा के तीसरे दिन तीज को गणगौर तीज के नाम से जाना जाता है। इस दिन परिवार के परिजनों द्वारा माता का रथ श्रृंगार कर तैयार करके माता की वाड़ी में जवारे रूपी माता लेने पहुचते है। वहां से माता की पूजा अर्चना कर अपने अपने घरों को लाकर जोड़े से पूजन करने का महत्त्व है। उसके बाद नगर के यजमानों द्वारा दो दिन रथ अलग अलग जगह बोड़ाये जाते है। व रात्रि में सामुहिक झालरिये गीत महिलाओं द्वारा गाते हुए माता की आराधना की जाती है। तीन दिन माता की सेवा कर रविवार की शाम को माता को गले लगाकर नम आंखों से विदाई दी गयी।
नगर की ऐतिहासिक बावड़ी में जवारे रूपी माता को विसर्जित कर निमाड़ का सबसे बड़ा गणगौर पर्व मनाया गया। इसी कड़ी में तीन दिनों तक नगर सहित समूचे निमाड़ में गणगौर पर्व की धूम रही।