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June 30, 2024, 1:12 pm
NEWS : 19 वें कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में सिद्धाश्रम तीर्थ के नेमीशारण्य कथा मंडप में आषाढ़ कृष्णा अष्टमी को हुआ कथा का विराम, स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा- राम नाम की महिमा अपरंपार, पढ़े रेखा खाबिया की खबर 

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चित्तौड़गढ़। व्यंकटेश बालाजी दिव्य धाम अलवर के स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा कि राम नाम की महिमा अपरंपार हैं। जिसके अनवरत स्मरण करने पर बड़े से बड़े संकट से भी मुक्ति मिल सकती हैं। स्वामी सुदर्शनाचार्य शनिवार को 19 वें कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में सिद्धाश्रम तीर्थ के नेमीशारण्य कथा मंडप में आषाढ़ कृष्णा अष्टमी को कथा विराम से पूर्व संबोधित कर रहे थे। उन्होंने महर्षि नारद एवं राजा सुगंध के व्याख्यान का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं हैं। देवर्षि ने राजा सुगंध से कहा कि वे अपने से बड़ों को भले ही प्रणाम करें, लेकिन बराबर वालों को प्रणाम नहीं करना हैं। यह सुनकर राजा सुगंध ने मौजूद समस्त ऋषियों को प्रणाम करने के बाद राजा विश्वामित्र को प्रणाम नहीं किया। जिससे वे स्वयं को अपमानित महसूस करने लगे और अयोध्या पहुंचकर राघव से मिलने पर उन्होंने बताया कि एक राजा ने आपके गुरू का अपमान किया हैं। जिसे दंड दिया जाना चाहिए। तब राम ने गुरू का अनादर करने वाले को मृत्यु दंड देने का संकल्प ले लिया। यह जानकारी मिलने पर नारद जी ने राजा सुगंध से कहा कि वे व्यंकटाचल पर्वत जाकर मां अंजना के चरणों में बैठकर अभयदान वर मांगने को कहा। साथ ही सुझाव दिया कि जब तक मां अंजना हनुमंत लाल की शपथ ना ले लेवे तब तक भय का कारण मत बताना। अंजना के पुकारने पर हनुमान जी जब पहुंचे तो मां ने शरणागत की रक्षा के लिए अपने दुध का कर्ज चुकाने का 7संकल्प दिलाते हुए कहा कि राजा सुगंध का जीवन प्रभु राम से बचाना तुम्हारा दायित्व हैं, तब हनुमंत लाल ने इन विकट परिस्थिति में राजा सुगंध से पर्वत के दूसरे छोर पर बैठकर अनवरत राम नाम का जाप करने के लिए कहा। जब राम राजा सुगंध को मारने पहुंचे तो राम भक्त हनुमान ने उन्हें रोकते हुए कहा कि प्रभु भक्ति से अधिक मां का वचन हैं, इसलिए मेरे होते हुए आप राजा सुगंध को नहीं मार सकते हो, तब राम और हनुमान में युद्ध की स्थिति बनने वाली थी। ऐसे में राम ने हनुमंत से सुगंध की स्थिति जाननी चाही, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि अज्ञात स्थान पर एक भक्त अनवरत राम नाम का स्मरण कर रहा हैं। जिस के लिए भक्त हनुमान ने अभयदान का वरदान देने के बाद राजा सुगंध की जानकारी दे दी, लेकिन इस प्रसंग से यह साबित हो गया कि राम से बड़ा राम का नाम हैं। जिसका स्मरण मात्र से बड़े से बड़ा संकट टल जाता हैं और इस प्रकार सुगंध को जीवनदान मिल गया।

रजत सिंहासन पर स्वर्ण आभा में राजाधिराज के रूप में ठाकुरजी के दिव्य दर्शन से भक्त हुए धन्य
19 वें कल्याण महाकुंभ के अंतिम दिवस आषाढ़ कृष्णा अष्टमी को कल्याण नगरी के राजाधिराज के दिव्य दर्शन की आभा तो देखते ही बनती थी। जिन्हें रजत सिंहासन पर स्वर्ण आभा के साथ रत्न जड़ित श्रंगार में अनुपम स्वरूप में देखकर हजारों नर-नारी चकित रह गए। पिछले दो दशक में यह पहला अवसर था जब ठाकुरजी के दिव्य दर्शन का श्रंगार पूरे मेवाड़ी राणा के स्वरूप अनुपम, उत्कृष्ट एवं नयनाभिराम होने से अनेक भक्त अपलक अपने आराध्य के दर्शन करते नजर आए। दिव्य दर्शन से पूर्व ठीक दोपहर 12 बजे घंटा घड़ियाल और शंखनाद के साथ गगनभेदी जयकारों का क्रम प्रारंभ हुआ और जो ही घड़ी में 12 बजकर 32 मिनट हुए तब ठाकुर जी के गर्भगृह द्वार खोलते ही दिव्य दर्शन की आभा ने भक्तों को भाव विभोर कर दिया। इस दौरान तौप से पुष्प वर्षा, भक्तों के जयकारें, आतिशबाजी के त्रिवेणी संगम में आपार जन समूह अपने आराध्य की एक झलक पाने को आतुर दिखाई दिया। महाआरती के साथ कतारबद्ध होकर हजारों भक्तों ने ठाकुरजी के दर्शन किए। इससे पूर्व वेदपीठ की परंपरानुसार मंदिर पर नवीन ध्वज धराया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ध्वज पूजन कर कल्लाजी के संत, महंत, भक्तों एवं सेवकों के सानिध्य में जयकारों के साथ ध्वजारोहण किया गया। इस दौरान तौप से पुष्प वर्षा और जयकारों की गूंज से समूचा परिसर गुंजायमान रहा। दिव्य दर्शन की झांकी के लिए बड़ीसादड़ी के स्वामी सुदर्शनाचार्य के साथ ही अलवर से पधारे स्वामी सुदर्शनाचार्य, मेवाड़ व वागड़ क्षेत्र से आए संत, महंत एवं हजारों कल्याण भक्त मौजूद थे। तमिलनाडू से आए व्यंकटेश श्रीनिवास ने ठाकुरजी के प्रति अपनी अटूट आस्था प्रकट करते हुए महाराष्ट्र के पंच गंगा तीर्थ के साथ तीन समुद्रों के संगम स्थल कन्याकुमारी का पवित्र जल ठाकुरजी को अर्पित किया। जिससे शनिवार प्रातरू ठाकुरजी का महारूद्राभिषेक किया गया।

मनमोहक एवं सुगंधमयी पुष्पों की झांकी रही आकर्षण का केन्द्र
ठाकुरजी के दिव्य दर्शन के लिए दिल्ली से 20 फूल माली कलाकारों के दल द्वारा बैंगलोर, कलकत्ता और दिल्ली से मंगवाए गए कई प्रकार के फूलों की झांकी तैयार की गई। जिसकी छटा देखते ही बनती थी। फूल पत्तियों की सजावट के साथ इत्र की महक ने समूचे वातावरण को सुगंध से भर दिया और दिव्य दर्शन के लिए चित्ताकर्षक मनमोहिनी छवि को पुष्प सज्जा की झांकी ने द्विगुणित कर दिया। कई प्रकार के फूल पत्तियों से प्राकृतिक स्वरूप की यह झांकी 19 वें वर्ष अद्भुत रही। जिसमें कलाकारों की कला ने दर्शकों का मन मोह लिया।

मातृ-पितृ पूजन ने शिव परिवार की स्मृतियों को किया जीवंत
वर्तमान में टूटते संयुक्त परिवार और पारिवारिक विघटन को कम करने के लिए वेदपीठ के सद्प्रयासों से पिछले 19 वर्षों से महाकुंभ के अंतिम दिवस मातृ-पितृ पूजन के माध्यम से शिव परिवार की स्मृतियों को जीवंत करने के साथ ही पुरातन संस्कृति को जीवंत करने का सुप्रयास किया जा रहा हैं। इसी कड़ी में शनिवार को कथा मंडप में सैकड़ों श्रृद्धालुओं ने मातृ-पितृ पूजन में भागीदारी करके ऐसी अनुभूति कराई मानों सिद्धाश्रम तीर्थ में प्रथमेश पूज्य गणेश अपने माता पिता की पूजा कर परिक्रमा कर रहे हो। उसी अनुरूप सभी भक्तों ने अपने माता पिता की अथवा छोटे बड़े पुत्र-पुत्रियों ने अपने माता पिता की वेदाचार्यों के मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा अर्चना कर चरणोदक लेते हुए जब परिक्रमा की तो ऐसा लगा एक फिर हमारी प्राचीन संस्कृति वेदपीठ के माध्यम से जीवंत होने को तत्पर हैं। इस दृश्य को देखकर स्वामी सुदर्शनाचार्य ने भी भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि वेदपीठ के इस सुकृत्य का अनेक संस्थाओं एवं धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाना चाहिए। बड़ीसादड़ी से आए स्वामी सुदर्शनाचार्य ने भी मातृ-पितृ पूजन को शलाघनीय बताते हुए कहा कि वे भी प्रयास करेंगे कि ऐसे दृश्य अन्यत्र भी सुलभ हो।

यज्ञ की पूर्णांहुति के साथ 51 कुण्डीय विष्णु महायज्ञ संपन्न     
कल्याण महाकुंभ के अंतिम दिवस शनिवार को नारदीय यज्ञशाला में आयोजित पांच दिवसीय 51 कुण्डीय विष्णु महायज्ञ पूर्णांहुति के साथ संपन्न हो गया। इस पावन अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ गौघृत्य एवं शाकल्य की आहूतियां देते हुए सर्वत्र खुशहाली एवं अच्छी बारिश की कामना की।

सहस्त्र दीप ज्योति आरती से हुआ अनूठा नजारा
कल्याण महाकुंभ के सप्तम दिवस की संध्या वेला में कथा मंडप में व्यासपीठ की सहस्त्र दीप ज्योति से की गई आरती से ऐसा अनूठा नजारा दिखाई दिया मानो समूचा नक्षत्र मंडल सिद्धाश्रम तीर्थ में प्रकट हो गया। कथा मंडप में मौजूद वीरांगनाओं के साथ श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ की महाआरती में सहभागिता निभाई। वहीं वेदपीठ से जुड़े वीर बालकों द्वारा सतरंगी आतिशबाजी की गई। महाआरती के दौरान जे के सीमेन्ट के यूनिट हेड आर बी एम त्रिपाठी, मनीष तोषनीवाल, युवा उद्योगपति पूरण आंजना, न पा अध्यक्ष सुभाषचन्द शारदा, बंशीलाल राईवाल, पार्षद रविप्रकाश सोनी, रूकसार बी, सुशील चित्तौड़ा सहित कई आगंतुक अतिथि मौजूद रहें।

भजन संध्या में हेमन्त ब्रजवासी के कल्लाजी के भजनों ने किया भाव विभोर  
कल्याण महाकुंभ के सप्तम दिवस नेमीशारण्य कथा मंडप में शुक्रवार रात्रि को आयोजित भजन संध्या में हेमन्त ब्रजवासी के भजनों की धूम रही। कोरस पर करण, नरेश, डिग्गा, की बोर्ड पर गोपाल, पेड वादक अरूण, तबला पर अन्नू, ढौलक पर बिन्नू, ढौल पर अंकित, मुख्य गायिकी में हेमन्त ब्रजवासी और होशियार ब्रजवासी की टीम द्वारा भजनों की मन भावन प्रस्तुतियां दी गई। सारेगामापा और रायजिंग स्टार के विजेता गायक हेमन्त ब्रजवासी ने अपने अनूठे अंदाज में कृष्ण भक्ति को कल्ला भक्ति से जोड़ते हुए ठाकुर श्री कल्लाजी के मन भावन भजनों की प्रस्तुति देकर समूचे वातावरण को कल्लामय बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी। उन्होंने कल्लाजी छतरी वाले के साथ कई कृष्ण भजनों को कल्लाजी से जोड़कर प्रस्तुति देते हुए कल्याण भक्तों को आनंदित कर दिया। वहीं कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत भक्त शिरोमणि मीरा के प्रसिद्ध भजन मीरा हो गई दिवानी तथा कृष्ण भक्ति के सरोवर सांवरा सुनाकर कृष्ण भक्ति से वातावरण को सराबोर कर दिया। उन्होंने अपनी संगीत प्रतिभा को सरगम अंदाज में प्रस्तुति देकर अपनी गायिकी का अनूठा परिचय दिया। प्रारंभ में वेदपीठ की ओर से भजन गायक हेमन्त ब्रजवासी उनकी टीम के सदस्यों का तुलसी माला और उपरणा से स्वागत करने के साथ ही कल्याण भक्त ज्योति शर्मा की अपने आराध्य की भक्ति के प्रति उनकी प्रशंसा की गई। इस अवसर पर सूरजकुण्ड धाम के महंत अवधेश चौतन्य ब्रह्मचारी महाराज ने ठाकुरजी के दर्शन कर भव्य आयोजन एवं नितनये श्रंगार की प्रशंसा करते हुए कहा कि ठाकुरजी के कृपा से ये नगर विश्व मानचित्र पर कल्याण नगरी बनकर रहेगा। इस मौके पर कथा व्यास सुदर्शनाचार्य ने भक्तिरस से ओतप्रोत भजन संध्या में भाग लेकर ठाकुरजी की भक्ति का आनंद उठाया।

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