KHABAR : श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में साप्ताहिक कार्यक्रम सृजन विविधा, राष्ट्र प्रकृति, समाज में जागरूकता जैसे विषयों के साथ रचनाकारों ने किया कविता पाठ, पढे़ खबर

May 4, 2024, 11:47 am




इंदौर। श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में “सृजन विविधा” साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें शुक्रवार को करीब 70 से अधिक साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। 25 रचनाकारों ने विविध विषयों पर रचना पाठ किया। कार्यक्रम में नए लेखकों को वरिष्ठ लेखकों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस मौके पर पुष्पित तुलिका नारी विशेषांक का लोकार्पण किया गया। समिति के प्रचारमंत्री हरेराम वाजपेयी ने बताया कि आज की गोष्ठी में ’पुष्पित तुलिका’ का ’भक्ति में शक्ति’ नारी विशेषांक का लोकार्पण किया गया। इसकी सम्पादिका नमिता दुबे ने संस्था द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डाला। सृजन विविधा में रचनाकारों ने सुनाई अपनी रचनाएं आरंभ में संचालन कर रहीं साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि रचनाकारों को सुनने की भी आदत डाल लेनी चाहिए और अपनी रचनाओं की स्वयं समीक्षा भी करनी चाहिए। कार्यक्रम में पूजा कुशवाह ने अपनी गजल ’तुम पत्थरों के सौदागर हो...’, किरण पांचाल के गीत ’काटे कटते नहीं विरह के पल...’, कविता चौहान की ’पिता’ के संदर्भ में कविता ’लौट आये पिता पायी सुखद छाया’ संतोष त्रिपाठी की राष्ट्रप्रेम मयी रचना ’फूलों की व्यथा’ में कहा कि ’वहां मर्यादा की बली चढ़ रही थी, जबसे मेरा उपयोग राजनीति में शुरू हुआ...’, युवा रचनाकार मुकेश भायल ने अपनी गजल में कहा कि ’मुद्दतों से मेरे घर कोई मेहमान नहीं आया, पूछने रास्ता कोई अनजान भी नहीं आया..हर मुश्किल का डट कर सामना किया मैंने, घर बैठे किसी का समाधान नहीं आया...’ पर खूब तालियां बटौरी। सुषमा शुक्ला की रचना ’भ्रूण हत्या’ पर ’रक्षक ही भक्षक बने...’, अमन की रचना ’मैंने देखा एक सपना...’, बृजमोहन शर्मा ’बृज’ की गजल ’तुम हो जाओगी हरी-भरी धरती तो मैं बादल हो जाऊंगा...’ खूब सराही गई। इस अवसर पर गौरव पटेल, अतुल, डॉ. शशि निगम, यादव, आनंद तराणेकर, बालक बृज, राठी खरे, डॉ. मनीष दुबे आदि ने भी रचना पाठ किया। आभार अनिल भोजे ने माना। कार्यक्रम में डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, सूर्यकांत नागर, अनिल भोजे, घनश्याम यादव, सदाशिव कौतुक, सुरेखा सिसौदिया, ओम उपाध्याय, डॉ. अर्पण जैन, मणिमाला शर्मा, प्रो. उदय जैन, उमेश पारीख, हरीश साथी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार मौजूद थे।

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