KHABAR : प्रदेश के 25 लाख मजदूरों को संशोधित न्यूनतम वेतन देने के लिए सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू ने दिया डिप्टी कलेक्टर धारवे को ज्ञापन, पढ़े खबर 

June 28, 2024, 3:47 pm




नीमच। आज दिनांक 28 जून 2024 को प्रदेश के समस्त जिलों में दिए गए ज्ञापन के तहत  आज नीमच में भी मजदूरों ने सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर के द्वारा संशोधित पूननिरीक्षित न्यूनतम वेतन के संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए दिया। जिला कलेक्टर में कार्यालय में यह ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर धारवे को दिया गया।  ज्ञापन में बताया गया है कि यह देश में सम्भवतः पहला मामला है जहां हमारे प्रदेश में कानूनी रूप से न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के लिए  निर्धारित 5 वर्ष के अंतराल के बाद होने वाले पुनरीक्षण को 9 वर्ष बाद तमाम कोट-छाँट कर लागू किया गया। केवल एक माह मई 2024 के वेतन में वह मिला तथा उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ ‌द्वारा जारी स्थगन आदेश के बहाने 24 मई 2024 को श्रमायुक्त मध्य प्रदेश ‌द्वारा जारी नये आदेश से इसे वापस ले लिया। इससे न सिर्फ यह वृ‌द्धि छिन गयी बल्कि मई 2024 में दी गयी बढ़ी हुयी राशि की भी जबरन वसू‌ली करने का अधिकार कारखाना मालिकों को मिल गया। इस कारगुजारी कानून के दायरे में आने वाले मध्य प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा श्रमिको कर्मचारियों में रु अध कुशल को 1764 रु. कुशल को 2109 रु. तथा अतिकुशल को 2434 रु. से न्यूनतम वेतन अकुशल को 1625 मासिक की कटौती झेलनी पड़ रही है। यह मामला आसमान छूती महंगाई के शिकार मजदूर कर्मचारियों के परिवारों को तबाह कर कारखाने मालिकों की तिजौरी व राज्य सरकार के कोष भरने की साजिश का है। न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के लिये हमने लम्बा संघर्ष किया। पहले तो 9 वर्ष तक भाजपा सरकार ने इसे किया नहीं और जब किया तो तमाम काट छांट के साथ किया। इसके खिलाफ सीटू ने प्रदेश  के श्रम कार्यलायों पर 28 मार्च 2024 को श्रम मंत्री व श्रमायुक्त के नाम जापन सौंपे। इस ज्ञापन मे न्यूनतम वेतन में कांट छाट को दुरुस्त करने, नवम्बर 2019 से अप्रैल 2024 तक के एरियर सहित भुगतान करने और 2024 में देय अगले पुनरीक्षण की  प्रक्रिया शुरू करने की मांग की गई। इस ज्ञापन के संबंध में श्रमायुक्त कार्यालय ने अपने पत्र क्रमांक बफा /आठ/ वेतन /2024/477 (2) दिनाक 30/4/24 के माध्यम से हमारे संगठन को जवाब देते हुये यह लिखा कि न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड की अगली बैठक में इन मागी का निराकरण किया जावेगा। लेकिन जब 28 मई 2024 को न्यूनतम वेतन सलाहकार मंडल की बैठक हुई तो इसे एजेण्डे में भी शामिल नहीं किया। वर्तमान न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड का गठन 18 जुलाई 2019 को हुआ और इसकी 9 वर्ष में केवल एक बैठक 15 नवम्बर 2019 को ही हुयी। सरकार का कमाल देखिये कि 15 मई 2024 को मध्य प्रदेश टेक्स्टाईल मध्यप्रदेश को पत्र लिखकर कहा कि चूंकि म.प्र. डाल दिया। स्पष्टत उनकी मांग थी कि किसी न किसी रूप में न्यूनतम वेतन कम किया जावे।   क्या यह संयोग है कि जिस मालिकों के संगठन ने उच्च न्यायालय में बंदे हुये न्यूनतम वेतन पर रोक लगाने के लिये याचिका लगायी उसी संगठन ने मई 2024 को श्रमायुक्त को पत्र लिख न्यूनतम वेतन को कम करने की मांग की और श्रमायुक्त ने उनकी मांग पर मोहर लगाने के लिये न्यूनतम वेतन सलाहकार मंडल की बैठक बुलवा दी? यह संयोग नहीं बल्कि यह सरकार की कारखाना मालिकों से मिलीभगत का प्रमाण है। इसी मिलीभगत के चलते ही तो सरकार ने उच्च न्यायालय में अपने ही फैसले के बचाव हेतु सक्षम पहल नहीं की और स्थगन मिल गया। माननीय उच्च न्यायालय से 7 मई 2024 के अपने आदेश में श्रमायुक्त कार्यालय से न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण हेतु 13 मार्च 2024 की अधिसूचना पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया। यह गौरतलब है कि चूंकि 1 अप्रैल 2024 को पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन लागू हो चुका था इसलिये यही यथास्थिति थी जिसे बनाये रखना था। फिर श्रमायुक्त कार्यालय से 24 मई 2024 को नयी अधिसूचना जारी कर न्यूनतम वेतन में कटौती क्यों की? यह मजदूरों के हितों पर कुठाराघात तथा नगई से मालिकपरस्ती के अलावा और कुछ नहीं है। यह स्पष्ट है कि इस कानूनी उलझन में न्यूनतम वेतन वृ‌द्धि को फंसा कर सरकार इसे पूरी तरह से वापस लेने की साजिश कर रही है। इसलिए सीटू ने इसके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ने का निर्णय किया है। अतः आज 28 जून को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर हम मांग कर रहे है किः 1. उच्च न्यायालय में जारी कानूनी लडाई में सरकार मुस्तैदी से न्यूनतम वेतन वृद्धि पर स्थगन को समाप्त करने के लिए अपना पक्ष रखे। 2. न्यूनतम वेतन में हुई वृद्धि का एरियर्स सहित भुगतान कराये।  3. न्यूनतम वेतन कानून 1948 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2024 संध्देय नये न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ करे। 4. आआंगनवाडी को पुनः अधिसूचित नियोजनों में शामिल कर कार्यकती को अतिकुशल तथा सहायिका को कुशल श्रेणी में शामिल करें। यदि मांगे शीघ्र नहीं मानी गई तो आगे क्रमिक आंदोलन किया जाएगा।  ज्ञापन का वचन सुनील शर्मा ने किया इस अवसर पर सीटू के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह, नरेंद्र कमलवा, दिनेश जोशी, मुकेश धाकड़, विनोद कताला, जितेंद्र वर्मा ,रवि नागदा, राजेश अहीर, नीरज जोशी  , मुकेश बाबा, कैलाश मेघवाल, रामलाल, ओमप्रकाश भट्ट, पंकज नागदा, विष्णु धनगर, शंभू सिंह, मुकेश नागदा, भूपेश वर्मा, ललित घाने सहित सीलवेल, फिल्टर को, ब्लू चिप , आईकॉन फैक्ट्री वह गोमाबाई नेत्रालय के  श्रमिक उपस्थित थे।

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