नीमच। सीमा पर सैनिक जागता है। तब देश का नागरिक चौन की नींद सोता है।सैनिकों के सम्मान बिना राष्ट्र का सम्मान अधूरा रहता है।सर्दी गर्मी बरसात या धूप हो या रेगिस्तान की गर्मी हो देश की सीमा पर राष्ट्र की रक्षा के लिए सजग रहता है। सैनिक का त्याग राष्ट्र सेवा का प्रतीक होता है। यह बात भागवतचार्य पंडित भीमाशंकर शास्त्री ने कही। वे श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव आयोजन समिति के तत्वावधान दिवंगत पूर्व जनपद उपाध्यक्ष राजाराम पाटीदार की चतुर्थ पुण्य स्मृति में गामी परिवार भेरु बावजी देवरा परिसर रामनगर में श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सैनिक सीमा पर वेतन के लिए नहीं वतन की रक्षा के लिए सेवा देता है। राष्ट्रभक्ति और राम भक्ति दोनों समान होती है। विद्यार्थी कोटा, इंदौर में रात दिन परिश्रम कर पढ़ाई करते हैं तब जाकर उनके जीवन का कैरियर बन पाता है।संसार दुःखों का आलय है। दुःख की फैक्ट्री संसार में कहीं नहीं है। दुःख विचारों से आता है। हम अपने विचारों को अच्छे बनाएं। सकारात्मक परमार्थ के कार्य सोचे सुख मिलेगा। दुःख कभी नहीं मिलेगा। अच्छे कर्मों से सुख मिलता है। बुरे कर्मों से दुःख मिलता है।संघर्ष से कभी घबराना नहीं चाहिए साहस के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहे सफलता हमारे कदम चूमेगी।रात के बाद सुबह भी आती है। दुख के बाद सुख भी अवश्य आता है। बुरे विचार जहर के समान होते हैं।संसार में हर व्यक्ति दुखी है कोई तन दुखी कोई मन दुखी है कोई धन से दुखी है। संसार दुखों की भट्टी है मनुष्य तप कर सोना कुंदन बनता है। इंसान बहुत स्वार्थी है भगवान ने घोड़ा एक व्यक्ति बैठने के लिए बनाया लेकिन इंसान ने अपने स्वार्थ के लिए तांगा बना कर 12 व्यक्ति को बिठा लिया। इंसान को पशु की उपमा देते हैं। लेकिन पशुओं को कभी इंसान की उपमा नहीं देते हैं। मनुष्य के पास घ्99 है।फिर भी वह 1रु के चक्कर में दुखी रहता है।तंत्र-मंत्र का भी अस्तित्व होता है मंत्र यंत्र भी एक विज्ञान है।ईर्षया का भाव छोड़ना चाहिए। तभी जीवन में विकास हो सकता है। सपना ऐसा देखना चाहिए कि होटल पर बैठना छुट जाना चाहिए।युवा वर्ग फेसबुक इंटरनेट व्हाट्सएप में 6-6 घंटे बर्बाद नहीं करें उनके जीवन का विकास नहीं हो सकता है। यह राष्ट्र का नुकसान है।युवा वर्ग विश्व गुरु बनाने में किस प्रकार भूमिका निभा पाएगा।जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी पर अपना कर्तव्य निभा रहा है ।युवा वर्ग भी विश्व गुरु बनने में भारत में अपनी भूमिका का निर्वहन करें तभी भारत विश्व गुरु बन पाएगा। अनेक जन्मों का पुण्य होता है तब भागवत श्रवण का अवसर मिलता है।मीराबाई का भक्ति चरित्र आदर्श प्रेरणादायक प्रसंग है। बेटी सास-ससुर को माता पिता के समान माने तो घर स्वर्ग बन सकता है।बेटियां माता अनसूया ,सावित्री, सीता के चरित्र को जीवन में आत्मसात कर जीवन को सफल बनाए। बेटियां ससुराल में सहनशील बने तो घर स्वर्ग बन सकता है । माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का पालन करना चाहिए। प्रत्येक जनप्रतिनिधि को गांव विकास के लिए सेवा का संकल्प लेना चाहिए।जनप्रतिनिधि ऐसे विकास कार्य करें कि उन्हें आगामी 50 वर्ष तक याद किया जाए।जनप्रतिनिधि और निष्ठा पूर्वक सेवा कार्य करें नहीं तो परमात्मा की लाठी में आवाज नहीं होती है।मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है इसलिए इसका सेवा धर्म सबसे बड़ा होता है। माता पिता का महत्व उनके नहीं रहने के बाद अनुभव होता है।माता-पिता को सदैव चरण स्पर्श करना चाहिए।अपने से बड़ों को प्रणाम करने से पितृदोष में शांति मिलती है। प्रणाम करने से परिणाम बदल जाते हैं माता-पिता बच्चों को गोपालन जैसे कार्य कौशल के संस्कार सिखाएं तभी वे आत्मनिर्भर बन सकते है। युवा वर्ग परिक्रमा पसंद नहीं पराक्रमी बने।
महाराज श्री ने श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह, वृंदावन,बरसाना ,नंदगांव,मथुरा, गौपालन, गोकुल,रासलीला,मौरकुटी, बृज की होली, मीरा, राम द्वापर युग, पर योग सुख , दुख, यज्ञ, शिव पार्वती द्वारा बाल कृष्ण के दर्शन, ऋषि, ,भक्त कथा आदि धार्मिक प्रसंग का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व पारित किया।भागवत पौथी पुजन महाआरती में जावद जनपद के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण पाटीदार, गोपाल पाटीदार मुकनपुरा,कवि अभय जैन मोरवन, डिकेन नगर पंचायत अध्यक्ष श्रवण पाटीदार, वरिष्ठ पत्रकार रतनगढ़ एस. पी. व्यास आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम शुभारंभ पर विद्वान पंडितों द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ निरंतर किया जा रहा है। आना हो गणराज हरि भागवत सत्संग में भजन संकीर्तन से हुआ। कथा महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ9मईमंगलवारभेरुजी के देवरे पर पूजा अर्चना आरती के साथ हुआ। निर्मला देवी धर्मपत्नी स्वर्गीय राजाराम पाटीदार, जोगेश पाटीदार ने बताया कि 10 मई को श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का विश्राम हवन यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ किया जाएगा। इस अवसर पर कृष्णाष्टकम स्तुति का सामुहिक वाचन किया गया। विद्वान पंडितों द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया। श्रीमद् भागवत हवन यज्ञ में श्रीमती सुशीला प्रेमसुखपाटीदार, सम्पत बाई जानकीलाल पाटीदार ने वेदिक मंत्रो उच्चारण किया। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन देवीलाल मुच्छरा, अरविंद पाटीदार ने किया।
गिरिराज पर्वत उत्सव छप्पन भोग की झांकी सजाई-
श्रीमद्भागवत के मध्य भागवत आचार्य पंडित श्री शास्त्री ने जब गिरिराज पर्वत पूजन उत्सव व श्री कृष्ण 56भोग का प्रसंग बताया तो भक्ति पांडाल मे ,जय जय श्री कृष्णा की स्वर लहरीयां बिखरने लगी। प्रसाद वितरण किया
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वॉइस ऑफ़ एमपी की मुहीम- बेज़ुबान पक्षियों के लिए दान करें सकोरे या फिर अपने मकान की छत पर रखे सकोरे, भीषण गर्मी में सुने इनकी फ़रियाद।