भोपाल। आग की घटनाएं होने पर राहत व बचाव कार्य करने के मकसद से बनाया गया 200 करोड़ का फायर सेफ्टी प्लान अटक गया है। ये प्लान नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आपदा राहत मद में तैयार किया था। प्रदेश के 300 नगरीय निकाय ऐसे हैं, जहां केवल एक-एक ही फायर टेंडर हैं। इन क्षेत्रों में यदि एक समय में दो स्थानों पर बड़ी आग लगी तो टेंडर एक ही स्पॉट पर पहुंच पाएगा। यानी दूसरी जगह उस वक्त आग नहीं बुझाई जा सकेगी।
24 मई को चीफ सेक्रेटरी ऑफिस में हुई बैठक के दौरान फायर सेफ्टी प्लान पर चर्चा हुई। प्लान को देखकर सीएस ने सवाल किया कि इस प्लान का संचालन कैसे करेंगे? छोटे परिषद या निकायों में ऐसे वाहन चलाने वाले फायरमैन हैं या नहीं? इस तरह के सवालों के साथ फायर सेफ्टी प्लान को और विस्तृत करने की सलाह देते हुए सीएस ने फिलहाल इसे लौटा दिया है।
342 निकायों में एक-एक फायर टेंडर की खरीदी करनी है। 300 निकायों में फिलहाल केवल एक-एक फायर टेंडर ही है। दो-दो फायर टेंडर होने से इन निकायों के ग्रामीण-शहरी क्षेत्र को एक साथ कवर किया जा सकेगा। इसमें 5000 लीटर पानी और 500 लीटर फोम एक साथ रखा जा सकता है।
चारों बड़े निगम भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में दो-दो फायर फाइटिंग बाइक प्लान की गई थीं। संकरी गलियों में इन्हें आसानी से ले जाया सकता है। इनकी कैपेसिटी 40 लीटर पानी ले जाने की है। 12 निगमों में एक-एक बाइक दी जानी थी।
16 निगम और 99 नगर पालिकाओं के लिए 4-4 कॉम्बो यूनिट फायर फाइटिंग की खरीदी होनी थी। आग लगने पर धुआं प्रभावित क्षेत्र में इसे मास्क लगाकर ले जाया जा सकेगा। इसे फायरमैन पीठ पर टांगा सकता है, जिसमें ऑक्सीजन भरी होती है।
16 निगम और 99 नगर पालिकाओं के लिए 1-1 वाटर मिस्ट कैफ फायर एक्स्टिंग्यूशर खरीदे जाने थे। आग प्रभावित क्षेत्र में फौरन पहुंचने में ये कारगर यूनिट है। ये एक ट्रॉली बेस्ड हाई प्रेशर वाटर मिस्ट एक्सटिंग्युशर है, इसे एक व्यक्ति भी ऑपरेट कर सकता है।
इसका इस्तेमाल अचानक हुई जहरीली गैस के रिसाव के दौरान किया जाता है। इसकी खरीदी सभी नगरीय निकायों के लिए की जानी थी। इसके अलावा प्रदेश के बाढ़ प्रभावित 19 नगरीय निकायों में लाइफ बोट फॉर रेस्क्यू और रेस्क्यू रोप लांचर भी खरीदने की योजना फायर सेफ्टी प्लान में की गई थी।