भोपाल। शहर में हर कॉलोनी और छोटे-बड़े बाजार में सांची पार्लर के नाम पर गुमठियां रखी हुईं हैं। फुटपाथ, रोड डिवाइडर और ग्रीन बेल्ट एरिया में रखे इन पार्लर से ट्रैफिक भी अव्यवस्थित हो रहा है। यदि दुग्ध संघ के रिकॉर्ड की बात की जाए तो शहर में केवल 650 पार्लर हैं और इनमें से ज्यादातर नगर निगम को हर महीने 500 रुपए किराया भी नहीं दे रहे हैं। अब नगर निगम हर जोन में सांची पार्लर का सर्वे करा रहा है। ताकि अवैध पार्लर चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
शहर में आज भी नया सांची पार्लर आवंटित करने के लिए नगर निगम को हर महीने 20-25 आवेदन आते हैं। निगम अफसरों का कहना है कि सांची पार्लर आवंटन का काम नगर निगम का नहीं है। यह तो दुग्ध संघ के नियमों के आधार पर होना चाहिए और इसके लिए जिला प्रशासन के स्तर पर नीति बनानी चाहिए। निगम को तो इन पार्लर से हर महीने तह बाजारी के 500 रुपए मिलना चाहिए। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि निजी कंपनियों के पार्लर की आड़ में सांची पार्लर खुल रहे हैं। सांची पार्लर जैसा दिखाने के लिए इन पर नीला रंग का पेंट किया जा रहा है।
कहां-कितने पार्लर, खाका होगा तैयार
पिछले दिनों जोनल अधिकारियों के साथ बैठक में सांची पार्लर के आवंटन का मुद्दा आने पर नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी के ने पूरे मामले की पड़ताल करने को कहा। अपर आयुक्त संदीप केरकेट्टा आवंटन के नियम आदि की पड़ताल कर रहे हैं। जोनल अधिकारियों के सर्वे के बाद चिह्नित अवैध पार्लर हटाने के साथ निगम दुग्ध संघ से समन्वय कर आबादी के हिसाब से कहां, कितने पार्लर की जरूरत है उसका खाका तैयार करेगा। इसके साथ ही निजी कंपनियों को भी इन नियमों के दायरे में लाया जाएगा।