विदिशा। कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने आज स्पष्ट निर्देश दिए है कि अत्याचार अधिनियम के तहत स्वीकृत राहत राशि का वितरण डिजीटल जाति प्रमाण पत्र के अभाव में ना रोक जाए। उन्होंने जिला संयोजक को स्पष्ट निर्देश दिए है कि एसडीएम के हस्तांक्षरित जाति प्रमाण पत्र को भी मान्य किया जाए।
कलेक्टर भार्गव के द्वारा अपने चेम्बर में सोमवार को जिला स्तरीय सतर्कता एवं मानिटरिंग समिति की बैठक आहूत की गई थी जिसमें पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला के अलावा, समिति के अन्य सदस्यगण मौजूद रहें।
बैठक में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम योजना के अंतर्गत एक अपै्रल 2023 से 15 जून तक स्वीकृत राहत राशि एवं वितरण, डिजीटल जाति प्रमाण पत्र, राहत योजना अत्याचार निवारण अंतर्गत प्रकरणों की संख्या के संबंध में विचार विमर्श किया गया। इसके अलावा आकस्मिकता योजना के तहत भेजे जाने वाले प्रतिवेदन पीड़ित व्यक्तियों एवं साक्षियों को दिए जाने वाले यात्रा भत्ता, भरण पोषण, आहार व्यय एवं मजदूरी देय की समीक्षा, पुलिस विवेचना में लंबित प्रकरणों की समीक्षा, विशेष न्यायालय विदिशा में निराकृत एवं लंबित प्रकरणों की समीक्षा की गई थी।
पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि अत्याचार अधिनियम के तहत राहत राशि के दो सौ प्रकरण लंबित थे जिनमें से 130 का जन चेतना शिविरो के माध्यम से निराकरण किया गया है। शेष प्रकरणों के निराकरण हेतु उनके द्वारा संबंधितों को आवश्यक निर्देश दिए गए है। बैठक मंे पुर्नवास के तहत प्रदाय यात्रा भत्ता, मजदूरी की प्रतिपूर्ति, भोजन प्रतिपूर्ति के तहत प्रदाय की गई राशि से अवगत कराते हुए विशेष न्यायालय विदिशा में निराकृत एवं लंबित प्रकरणों की जानकारियां प्रस्तुत की गई। समिति की सदस्य सचिव व आदिम जाति कल्याण विभाग की जिला संयोजक पारूल जैन के द्वारा ऐजेण्डावार जानकारियां प्रस्तुत की गई।