इंदौर। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल शनिवार को इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने विभागाध्यक्षों के साथ बैठक में बताया कि अब स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग एक हो गया है। जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों से लिंक किया जा रहा है। इसलिए यहां के स्टाफ की सेवाएं अब जिला अस्पताल में भी ली जाएंगी। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के कुल बजट में से 30 प्रतिशत राशि को खर्च करने की अनुमति भी दी। कॉलेज और उससे संबद्ध अस्पतालों का बजट अगले महीने कार्यसमिति की बैठक में मंजूर किया जाएगा।
डीन के हक बढ़ेंगे, बजट भी कंट्रोल करेंगे... लैब सर्विस आउटसोर्स करेंगे
लांड्री, लैब की सर्विस को लेकर पोरवाल बोले कि इन्हें आउटसोर्स करना चाहिए। डॉक्टरों को इन सभी कामों की जिम्मेदारी नहीं दी जाना चाहिए। उन्हें क्लीनिकल पार्ट पर ही ध्यान देना चाहिए। पीएस बोले-जितनी चीजें आपको चाहिए उसका पूरा प्लान बनाकर दीजिए। यह सामान मिलने से हमें कितनी पीजी सीट अतिरिक्त मिलेंगी।
अब डीन के अधिकार बढ़ सकते है, ताकि उन्हें फाइलें लेकर बार-बार भोपाल की दौड़ नहीं लगाना पड़े। ज्वाइंट डायरेक्टर को एमवायएच का अधीक्षक बनाया जा सकता है। एमवायएच व अन्य अस्पतालों के तीन मैनेजरों की नियुक्ति भी हो सकती है। पीएस ने बताया कि कॉलेज से संबद्ध सभी अस्पतालों का बजट डीन के कंट्रोल में रहेगा। सभी अस्पतालों के प्रशासनिक अधिकारियों को एक जगह पर बैठकर काम करना चाहिए। सभी अस्पतालों का बजट अलग करने की बजाय एक ही बजट रखना चाहिए। उन्होंने चेताया छोटा-छोटा सामान भी खरीदो तो उसका भी टेंडर करें। छोटी-मोटी समस्याओं का समाधान तो खुद ही कर करना चाहिए।
कॉलेज का बजट 25 करोड़ रुपए
ऑटोनोमस मद में एमजीएम मेडिकल कॉलेज का बजट करीब 25 करोड़ रुपए है। इनमें से 6 करोड़ रुपए की खरीदी को लेकर पीएस ने मंजूरी दी। अन्य अस्पतालों का ऑटोनोमस मद का बजट 10 से 15 करोड़ बताया जा रहा है।