नीमच। परमात्मा के प्रति समर्पण भाव त्याग तपस्या भक्ति से ही परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है। संसार का व्यक्ति अक्सर सोचता है कि यह मैंने किया है। यह मेरा है। जबकि पुण्य कर्म परमात्मा के होते हैं और कर्मों के अनुसार व्यक्ति का कार्य होता है। परमात्मा के लिए जिसके अच्छे कर्म होते हैं उसका कार्य अच्छा होता है लेकिन कार्य परमात्मा की कृपा से ही पूरा होता है। भाव अच्छे होंगे तो कार्यभी अच्छा होगा। एक घंटे तक मंदिर में कलश पूजा कर एकाग्र चित्त भाव से परमात्मा की भक्ति में लीन रहे तो परमात्मा हमारा भला कर सकता है।
यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरु से अच्छे और सच्चे संस्कार सीखना चाहिए। गुरु के उपकार को कभी भूलना नहीं चाहिए शब्दों में बहुत ताकत होती है। इसलिए शब्द सोच समझकर बोलना चाहिए। जीवन में जो भी कार्य होता है परमात्मा की कृपा से ही अच्छा होता है। यह सब संस्कार महापुरुषों ने सिखाए हैं ।यदि हमारे विचार अच्छे होंगे तो हमारी प्रवृत्ति भी अच्छी होगी। घर से जब भी निकले तो परमात्मा के बारे में पूर्ण विचार कर ही निकले तो सब अच्छा ही अच्छा होता है। हमारे कर्म जितने अच्छे होंगे।पुण्य परमात्मा का उतना ही हमारा अच्छा होगा। जितना हमारा बुरे कर्म होगा तो हमारा इतना ही बुरा हो सकता है।साधु संत 24 घंटे परमात्मा की आज्ञा पालन दिनचर्या में जीवन जीते हैं इसलिए वे 24 घंटे परमात्मा के पास रहते हैं संसार का श्रावक 24 घंटे में से 23 घंटे संसार में व्यापार में परिवार में आदि में उलझा रहता है।
श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला।पूज्य आचार्य भगवंत का आचार्य पदवी के बाद प्रथम चातुर्मास नीमच में हो रहा है। उपवास, एकासना, बियासना, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद ,जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया,जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।