इंदौर। एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर का रिजल्ट घोषित होते ही देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की मूल्यांकन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे। 10200 छात्रों में सिर्फ 2200 पास हुए। ग्रेजुएशन में टॉपर रही छात्रा तक को फेल कर दिया, वहीं मेरिट में आने वाले 20 से ज्यादा विद्यार्थियों को फेल कर दिया। कई छात्राओं के आंसू निकल आए। इससे नाराज छात्रों ने नालंदा परिसर पहुंचकर हंगामा किया। एक छात्रा का कहना है अगर रिजल्ट ऐसे ही आते रहे तो परिजन हमें कॉलेज भेजना बंद कर देंगे।
प्रदर्शन के बाद यूनिवर्सिटी ने निर्णय लिया कि जिन तीन विषयों बिजनेस एनवायरमेंट, अकाउंट और कॉन्टिटीव टेक्निक में छात्र फेल हुए, उनकी सौ-सौ कॉपियों की सैंपलिंग कर दोबारा जांच करवाई जाएगी। अगर रिजल्ट में बदलाव आया तो फेल और एटीकेटी लाने वाले छात्रों का दोबारा मूल्यांकन होगा। कुल 300 कॉपियों की सैंपलिंग होगी।
छात्रा लवी महाजन को दो विषय में एटीकेटी मिली, जबकि पिछले साल बीबीए में 81 फीसदी अंक मिले थे। ऐसे ही अन्य छात्र-छात्राएं हैं, जिन्हें ग्रेजुएशन में 75 फीसदी तक अंक मिले थे, लेकिन एमबीए में फेल कर दिया। 10 छात्रों को अलग-अलग विषयों में जीरो अंक मिले। इससे छात्र नाराज हैं।
सुबह 11 बजे एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रजत पटेल के नेतृत्व में छात्रों ने यूनिवर्सिटी के चौनल गेट के बाहर धरना दिया। प्रदेश महासचिव यश यादव भी पहुंचे। देर तक हंगामा होते देख कुलपति प्रो. रेणु जैन, रजिस्ट्रार डॉ. अजय वर्मा, प्रो. अशोक शर्मा, एग्जाम कंट्रोलर प्रो. अशेष तिवारी और छात्र कल्याण संकाय के डीन डॉ. एलके त्रिपाठी मौके पर पहुंचे। इस दौरान उनमें काफी बहस हुई। छात्राओं ने आरोप लगाया कि लापरवाही से कॉपी जांच कर फेल किया गया। ठोस आश्वासन के बाद धरना खत्म हुआ। हालांकि इससे पहले कार्यकर्ताओं और छात्रों की पुलिस से तीखी बहस भी हुई।
असल में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की मूल्यांकन व्यवस्था में लगातार गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। रिव्यू-रिवैल्यूएशन के दौरान यह चूक सामने आई है। जानकारों के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मूल्यांकन के बाद होने वाली स्क्रूटनी की व्यवस्था एक दशक पहले खत्म कर दी गई। इसमें कर्मचारी यह देखते थे कि कोई प्रश्न जांचने से रह तो नहीं गया है। कुल अंकों की टोटलिंग में गलती तो नहीं हुई? लेकिन यह व्यवस्था खत्म होने के बाद शिकायतें लगातार बढ़ने लगी। पहले पांच साल में दोगुना से पांच गुना और अब 20 गुना तक बढ़ गई हैं। कोविड के बाद 2 साल में खराब मूल्यांकन की 42 फीसदी ज्यादा शिकायत आई हैं।