बागली। डोल ग्यारस के अवसर पर जिले के हाटपीपल्या में नृसिंह घाट पर भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण मृर्ति भमोरी नदी में डाली गई। मृर्ति तैरने लगी। ऐसा तीन बार किया गया। तीनों बार तैरती रही भगवान नरसिंह की प्रतिमा।जानकारी के अनुसार प्रतिमा तैरने का अर्थ है कि आने वाला साल अच्छा रहेगा। प्रतिमा के तैरते ही घाट पर मौजूद हजारों लोगों ने भगवान नृसिंह के जयकारे लगाए। मंगलवार को नृ़सिंह मंदिर के सभी मंदिरों के डोल घाट पर एकत्रित हुए,जहां सभी पुजारियों ने स्नान कर नदी की पूजा की। उसके बाद पंडित सुरेश वैष्णव ने दीपक जलाकर नदी में छोड़ा। प्रतिमा को मंत्रोच्चार के साथ तीन बार नदी में पानी की सतह पर छोड़ा गया। तीनों बार प्रतिमा तैरने लगी। हाटपीपल्या में दोपहर 3 बजे से ही घाट पर श्रद्धालु जुटने लगे थे। घाट पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। आसपास से हजारों की संख्या में लोग यह नजारा देखने के लिए पहुंचे थे। जानकारों के अनुसार हर वर्ष डोल ग्यारस पर मूर्ति को तीन बार पानी में तैराया जाता है। जितनी बार मूर्ति तैर जाती है,उससे आने वाले वर्ष का आकलन किया जाता है। इस बार मूर्ति तीन बार पानी पर तैरती रही। जिससे कहा जा रहा है। आने वाले वर्ष अच्छा रहेगा।