आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है वही जिले के कई ग्राम आज भी ऐसे है जहां कई दशकों से सड़के नही है।ऐसा ही मामले लेकर आज हम आपको बताने जा रहे है।
आगामी विधानसभा चुनावों में सरकार को खरगोन जिले में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है जिले में खराब सड़को के कारण जगह जगह ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे ही ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिल रहा है जैसे पिछले चार सालों से ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर केवल चुनावो का इंतजार करते नजर आ रहे है।
ऐसे मामले आज आपको बताने जा रहे है मामला नंबर एक समीपग्राम घेघाव में ग्रामीणों ने रविवार रात्रि में रोड़ नही तो वोट नही नारे लगाकर विशाल रैली निकाली ओर मंगलवार को विशाल मोटरसाइकिल रैली के रुप मे जिला कलेक्टर कार्यालय जाने का फैसला लेते हुए जनसुनवाई में कलेक्टर को रोड़ की मांग करते हुए चुनाव बहिष्कार करने की बात ग्रामीणों द्वारा कही गयी। तो वही दूसरे दिन सेगांव ग्राम पंचायत में बांड्यपुरा, रावजीपुरा के ग्रामीण व महिलाएं बड़ी संख्या में पंचायत कार्यालय पहुची व पंचायत का घेराव कर रोड़ नही तो वोट नही के नारे लगाए गए। ग्रामीणों के साथ ग्राम पंचायत पंच कालीबाई व पंच सुपड़िया कन्नौजे भी पहुँचे। उनका कहना है कि पिछले 40 वर्षों से गांव में पहुच मार्ग नही है। रोड़ नही होने से गाव की जनता परेशान हैं। सांसद विधायक केवल वोट माँगने हमारे गांव आते है इसके बाद उनके जनप्रतिनिधि भी भूल जाते है। रावजीपुरा के निवासी बाबूलाल कन्नौजे ने बताया कि दो दिन पूर्व मेरी बहु सूरज बाई की डिलीवरी होनी थी। रात 8 बजे 108 को फोन किया। रोड नही होने से एम्बुलेंस नही पहुँची जिससे ग्रामीणों द्वारा मोटरसाइकिल पर जैसे तैसे स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जब डिलीवरी हुई।
ग्रामीणों ने बताया कि सांसद, विधायक सहित जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। सरकार इस ओर ध्यान नही देती है तो चुनावो का बहिष्कार किया जाएगा।
वही विकासखंड के ग्राम पंचायत सतावड में पिछले कई दशकों से पुलिया टूटी है कई हादसे होने के बाद भी कोई सुनवाई नही इस पुलिया के बारे में भी सांसद, विधायक, कलेक्टर कार्यालय पिछले दिनों ज्ञापन देकर भी अवगत कराया लेकिन कोई सुनवाई नही होने से सरपंच प्रतिनिधि का कहना है कि विधानसभा व लोकसभा चुनावों में पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा। जिसका खामियाजा सरकार सहित उम्मीदवारो को भुगतना पड़ सकता है। विकास केवल बड़े शहरों तक सिमट कर रह गया है। ग्रामो में आज भी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति नही हो सकी है।