नीमच। प्राचीन संस्कृत ग्रंथ वेद उपनिषद पुराण में भारतीय ज्ञान विज्ञान कला एवं संस्कृति के तत्व निहित है,जिनके आधार पर भारतीय संस्कृति का निर्माण हुआ। भारत के ऋषि मंत्र दृष्टा वैज्ञानिक थे जिन्होंने विमान विद्या से लेकर परमाणु तक के बारे में विस्तार से लिखा। उक्त विचार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर मीनाक्षी जोशी ने ज्ञानोदय संस्थान में आयोजित एक व्याख्यान में व्यक्त किये।
डॉ जोशी ने कहा कि प्राचीन भारत में स्त्रियों की दशा काफी उन्नत थी मैत्रेयी गार्गी अपाला, लोपामुद्रा ने वेदों की ऋचाएं लिखी। दुर्भाग्य के संस्कृत को मृत भाषा माना गया। किंतु संस्कृत पर नासा से लेकर इसरो तक में रिसर्च हो रहा है विदेशी विद्वानों ने संस्कृत ग के आधार पर आविष्कार किए हैं भारत में भारत विद्या पर वर्तमान में ध्यान दिया जा रहा है संस्कृत में रोजगार के भी पर्याप्त अवसर हैं और इसके आधार पर हम संस्कार युक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं।
संस्था की निर्देशिका डॉ माधुरी चौरसिया ने बताया कि युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति से दूर हो रही है। इस अवसर पर डॉ माधुरी चौरसिया, बालकवि बैरागी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुरेंद्र शक्तावत तथा आईटीआई के प्राचार्य एचएस राठौर ने डॉ मीनाक्षी जोशी को शाल श्रीफ़ल भेंट कर सम्मानित किया गया। संस्था प्राचार्य डॉ सुरेंद्र शक्तावत द्वारा लिखित 1857 की क्रांति और नीमच चर्चित पुस्तक भेंट की गई। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ विनीता डावर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में जीआईएमटी इंचार्ज प्राचार्य डॉ विनीता डावर, बालकवि बैरागी के उपप्राचार्य प्रो हेमंत प्रजापति, समस्त विभागाध्यक्ष, समस्त प्राध्यापक आदि उपस्थित थे। अंत में आभार प्रकट प्रभारी प्राचार्य प्रो सुरेंद्र पांडे ने किया। उक्त जानकारी प्रो अनूप चौधरी ने दी।