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March 29, 2024, 12:23 pm
KHABAR : खंडवा लोकसभा से कांग्रेस का चेहरा तय नहीं, अरुण यादव से ज्यादा उनके विरोधी गुट का बोलबाला, गुर्जर प्रत्याशी की संभावना, पढे़ खबर 

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खंडवा। कांग्रेस ने खंडवा लोकसभा सीट पर अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। जबकि भाजपा ने पहली सूची में ही प्रत्याशी तय कर दिया था। बताते हैं कि आज या कल में कांग्रेस की सूची आएगी, इनमें खंडवा सीट डिक्लेयर हो जाएगी। हालांकि प्रत्याशी कौन हो सकता है, यह केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। फिलहाल संभावना है कि अरुण यादव फिर उम्मीदवार हो सकते है। लेकिन, शीर्ष नेतृत्व को मिले इनपुट में अरुण यादव से ज्यादा उनके विरोधी गुट का बोलबाला है।


पहले जान लेते हैं कि पार्टी की पसंद अरुण यादव ही क्यों
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों ओबीसी पर भाषण देते हैं। यही वजह है कि भाजपा ने भी विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ओबीसी यादव समाज के मोहन यादव को प्रदेश की कमान सौंप दी। इस फैसले से भाजपा ने मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि यादव बहुल यूपी और बिहार को भी साध लिया। रही बात कांग्रेस की तो उनके पास मध्यप्रदेश में एकमात्र ओबीसी यादव नेता अरुण यादव हैं, जो कि दो बार सांसद, केंद्रीय राज्यमंत्री और मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके पिता सुभाष यादव दिग्विजयसिंह की सरकार में डिप्टी सीएम थे। दूसरा यह कि निमाड़ में अरुण यादव के अलावा कांग्रेस के पास कोई शीर्ष चेहरा भी नहीं है।


खंडवा सीट पर पार्टी में ही अरुण यादव का विरोध क्यों
अरुण यादव का विरोध करने वाले स्थानीय कांग्रेस के नेता हैं। जबसे अरुण यादव ने निमाड़ की बागडोर संभाली है, तब से यह गुट लूपलाइन में था। हालांकि, कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही विरोधी गुट फिर उभरकर आया। हाल में ही हुए विधानसभा चुनाव में लोकसभा क्षेत्र की आठों सीटों पर अरुण यादव के विरोधी नेताओं को टिकट दिया गया। वे आरोप लगाते हैं कि यादव ने हमेशा गुटीय राजनीति को बढ़ावा दिया है। जबकि वे निमाड़ कांग्रेस के कर्णधार हैं तो लोकसभा उपचुनाव, नगर निगम चुनाव, विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए खंडवा क्यों नहीं आए। सिर्फ अपने भाई को चुनाव जिताने के लिए कसरावद में डटे रहे।


फिर विरोधी गुट का नेता कौन? एक नाम तय हो चुका
अरुण यादव के सबसे बड़े धुर्रविरोधी मांधाता के पूर्व विधायक राजनारायणसिंह पुरनी है। जब 2020 का लोकसभा उपचुनाव लड़ने से अरुण यादव ने इनकार कर दिया तो पार्टी ने पुरनी को ही प्रत्याशी बनाया था। जहां यादव को ढाई लाख वोट से हार मिलती थी, पुरनी ने हार का अंतर 80 हजार पर ला दिया। ऐसे में यह यादव विरोधी गुट की सबसे बड़ी जीत थी। अब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर उनके विरोधी गुट ने एक नाम तय किया है। इस गुट की अगुवाई भी राजनारायणसिंह कर रहे हैं। लेकिन बतौर प्रत्याशी पूनम पटेल का नाम सुझाया गया है। पटेल गुर्जर समाज से आते हैं। इस समाज से फिलहाल दो विधायक है, जो पहले कांग्रेसी थे।


यादव खुद इनकार कर चुके, गुना से जताई थी इच्छा
अरुण यादव ने खंडवा लोकसभा से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। केंद्रीय नेतृत्व से कहा था कि उन्हें खंडवा की बजाय केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने गुना सीट से लड़वा दो। देखा गया है कि यादव चुनाव लड़ने से ज्यादा लाइमलाइट में आना चाहते हैं। 2018 का विधानसभा चुनाव उन्होंने पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान के सामने बुधनी सीट से लड़ा था।


कांग्रेस ने गुना सीट वाले अरुण यादव के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। गुना से राव यादवेंद्र प्रताप को टिकट दे दिया है। इधर, खंडवा सीट को लेकर यादव ने अपने भाई व कसरावद विधायक सचिन यादव, बड़वाह से विस प्रत्याशी रहे नरेंद्र पटेल और एक दशक पहले खंडवा से महापौर प्रत्याशी रहीं सुनिता सकरगाये का नाम सुझाया है। जबकि, यादव विरोधी गुट ने एक स्वर में सीनियर नेता पूनम पटेल के नाम का प्रस्ताव पीसीसी और एआईसीसी को भेजा है।
 

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