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March 30, 2024, 10:45 am
BIG NEWS : रंगपंचमी पर महाकाल को सिर्फ एक लोटा केसर जल चढ़ाया, इस बार ब्रज जैसा नजारा नहीं, श्रद्धालु बोले- उल्लास कम, बाबा सूखे हो गए, भक्तों की संख्या भी घटाई, पढे़ खबर 

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उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में रंगपंचमी पर महाकाल को सिर्फ एक लोटा केसरयुक्त जल चढ़ाया गया। तड़के 4 बजे शुरू हुई भस्म आरती में टेसू के फूलों से बना एक लोटा हर्बल रंग अर्पित किया। धुलेंडी के दिन गर्भगृह में आग लगने की वजह से व्यवस्था में बदलाव हुआ है। भक्त, पंडे-पुजारियों को मंदिर में रंग लाने की अनुमति नहीं है।


इससे पहले हर साल भक्त रंग लेकर मंदिर में आते थे। माहौल ब्रज की होली सा रहता था। लेकिन, इस बार शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात 2 बजे से ही बदली व्यवस्था का असर दिखा। भक्तों को चेकिंग के बाद मंदिर में प्रवेश मिला। पंडे-पुजारियों को भी जांच के बाद अंदर जाने दिया गया। केसर रंग और जल मंदिर की कोठार शाखा ने पुजारी और शासकीय पुजारी को उपलब्ध कराया।


श्रद्धालुओं का कहना है कि रंगपंचमी का उल्लास कम है, लेकिन अच्छे के लिए ही ये हुआ। अहमदाबाद से आईं एक महिला श्रद्धालु ने कहा, श्इस बार सूखी-सूखी रंगपंचमी मनाई गई। बाबा सूखे-सूखे हो गए। मन दुखी है, लेकिन बाबा जी के दर्शन पाकर खुशी है।


रंगपंचमी पर भस्म आरती में महाकाल का जलाभिषेक और दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर भांग, चंदन और त्रिपुंड अर्पित कर राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई। त्रिनेत्र रूपी मस्तक पर रजत त्रिपुंड और सिर पर शेषनाग, रजत मुकुट धारण किया। रुद्राक्ष और फूलों की माला अर्पित की गई।


पहले 100 लीटर से ज्यादा रंग बनता था
रंगपंचमी में भस्म आरती में राजाधिराज भगवान महाकाल को शुद्ध रंग चढ़ाने और आरती के दौरान भक्तों के साथ पुजारियों के रंग खेलने की परंपरा को इस बार विराम दिया गया। मंदिर परिसर में रंग भी नहीं बन पाया। हर बार 5 क्विंटल से अधिक टेसू के फूलों को आगर, उज्जैन, नलखेड़ा और आसपास के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों से मंगाया जाता था। रंगपंचमी के एक दिन पहले से मंदिर परिसर में पुजारी दिलीप शर्मा बड़े तपेलों में 100 लीटर से अधिक रंग तैयार कराते थे। यही रंग भगवान और भक्तों पर उड़ाया जाता था।


भक्तों की संख्या भी घटाई
गर्भगृह में सीमित लोगों को ही जाने दिया गया। संख्या 15 से ज्यादा नहीं होने दी गई। साथ ही रोजाना 1750 भक्तों को भस्म आरती में मिलने वाली परमिशन को कम कर 1400 दर्शनार्थियों को अनुमति दी गई।

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