भोपाल। शहर आज रंगपंचमी पर रंग-गुलाल की बौछारों से सराबोर है। पुराने शहर के सुभाष चौक, बरखेड़ी और नए भोपाल में शाहपुरा से गेर निकाली जा रही हैं। संत नगर, भेल और कोलार में भी हुरियारों की टोली धूमधाम से रंगपंचमी मना रही है।
मुख्य और बड़ा आयोजन चौक बाजार पर हुआ। यहां लोग जमा हुए और सुबह 10 बजे गेर की शुरुआत हुई। गेर का इस बार 68वां आयोजन है। हुरियारे भूत - पिशाच बनकर गेर में शामिल हुए हैं। सोमवारा में गेर के पहुंचते ही 6 टैंकरों से रंग बरसाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी इस जश्न में शामिल हुए।
श्री हिंदू उत्सव समिति के चल समारोह संयोजक देवेंद्र सिंह बना ने बताया कि गेर लोहा बाजार, छोटा भैय्या कॉर्नर, जनकपुरी, सिंधी मार्केट, भवानी चौक, लखेरापुरा, पीपल चौक, चिंता मन चौराहा, इतवारा चौराहा से होकर जैन मंदिर रोड, मंगलवारा, गणपति चौक, घोड़ा नक्कास होते हुए हनुमान जी की मढ़िया पर समाप्त होगी।
ब्रज की होली की झांकी, दुल-दुल घोड़ी
गेर में शिव पार्वती, राधा कृष्ण और ब्रज होली की झांकी खास है। ढोल-ताशे, डीजे, दुल-दुल घोड़ी, ऊंट, घोड़े, फूल गुलाल उड़ाने वाली मशीन के साथ नृत्य मंडली के साथ गेर निकाली जा रही है।
भोपाल में 1956 में पहली बार निकाली गई थी गेर
समाजसेवी प्रमोद नेमा ने बताया कि भोपाल सर्राफा के व्यापारी 1956 में इंदौर गए थे। वहां पर रंग पंचमी की गेर देखने के बाद उन्होंने भोपाल में भी ऐसा ही जुलूस निकालने का मन बनाया। जब वे लौटे तो सबसे पहले चौक बाजार से रंग पंचमी का जुलूस प्रारंभ कराया। यह 4 साल तक चला। भीड़ बढ़ने लगी तो हिंदू उत्सव समिति के संस्थापक उद्धव दास मेहता से जुलूस की व्यवस्था संभालने का निवेदन किया।
इसके बाद अगले साल 1960 में पहली बार हिंदू उत्सव समिति के बैनर तले रंगपंचमी का जुलूस निकाला गया। उस दौर में जुलूस चौक बाजार से प्रारंभ होकर लोहा बाजार, जुमेराती, सोमवारा, लखेरापुरा से होता हुआ हनुमान गंज स्थित हनुमान जी की मड़िया पर खत्म होता था। आज भी इसी रूट को फॉलो किया जाता है।