KHABAR : तुलसी पूजा तपस्या का फल कभी निष्फल नहीं जाता है, जय गणेश परिवार व लावण्या ग्रुप के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में पं. राधेश्याम सुखवाल ने कहा, कथा श्रवण के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, पढ़े खबर 

March 28, 2024, 8:34 pm




नीमच। घर आंगन में तुलसी का पौधा होता है। इसके नियमित विधि विधान से प्रतिदिन पूजा होती हो। उस घर में सुख समृद्धि शांति का वास होता है। तुलसी पूजा तपस्या का फल कभी निष्फल नहीं जाता है। यह बात निंबाहेड़ा गौशाला के संत पंडित राधेश्याम सुखवाल ने कही। वे विश्व सनातन हिंदू रक्षा संघ के घर -घर तुलसी सालिगराम महा अभियान के अंतर्गत जय गणेश परिवार व लावण्या ग्रुप के तत्वाधान में बघाना बालाजी धाम पर श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे।  उन्होंने कहा कि जिस घर में तुलसी के पौधे का वास होता है उस घर में लक्ष्मी का निवास होता है। तुलसी माता का विधि विधान से नियम पालन करने से आत्मा का कल्याण हो जाता है। इस जन्म तो क्या अगले सात जन्म का कल्याण हो जाता है। तुलसी पूजा विधान के मर्यादा का पालन के संस्कार बच्चों को सीखाना चाहिए, ताकि वह सुख शांति के साथ जीवन यापन कर सके और अपने शिक्षा संस्कार के माध्यम से जीवन को सफलता की ऊंचाई की ओर ले जा सके। मनुष्य की यदि क्षमता हो तो मंदिर, मूर्ति का निर्माण, यज्ञ, भंडारे का आयोजन करवाना चाहिए। यदि नहीं हो सके तो तुलसी के पौधे की विधि विधान से सेवा करना चाहिए तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। तुलसी के पौधे पर प्रतिदिन सुबह जल चढ़ाना चाहिए। रात्रि में इसका निषेध रहता है। तुलसी में जब भी जल चढ़ाया तो विष्णु के जल का पवित्र भाव रखकर ही चढ़ाना चाहिए। धर्म स्थान पर कठिनाइयां रहती है। सुविधाओं की व्यवस्था चाहिए तो राजनीति, लोकसभा चुनाव में भाग लेना चाहिए। अपने धन पर अहंकार नहीं करना चाहिए। भक्ति करे तो मीरा जैसी करना चाहिए। जीवन में अहंकार नहीं होना ही जीवन का सबसे बड़ा धन होता है। सुख और अच्छाई चाहिए तो गरीब और दुखी वंचित को प्रसाद का वितरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई मांगलिक आयोजन करें तो पितरों को जल अवश्य तर्पण करना चाहिए। देवता भी जल से प्रसन्न होते हैं। गरुड़ पुराण कथा जीवन के बाद का सच कहती है। गरुड़ पुराण श्रवण करने से पितरों का मोक्ष होता है। किसी तीर्थ स्थान पर जाए तो पितरों को जल तर्पण अवश्य करना चाहिए। पितृ तृप्त तो होंगे तो परिवार में खुशहाली रहेगी। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने वनवास में रहते हुए 12 साल तक राजा दशरथ को जल तर्पण किया था। एक दिन राम किसी कार्य में व्यस्त हो गए थे तो माता सीता ने राजा दशरथ को जल तर्पण किया था। प्रतिदिन आरती के बाद प्रसाद वितरण हो रहा है।  महाराज श्री ने नारद मुनि संवाद, तुलसी विवाह प्रसंग आदि के महत्व पर वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया। तुलसी विवाह आरती श्रीमद् भागवत पोथी पूजन में रेखा गोयल, अंजना अग्रवाल, राधिका मिश्रा, कल्याणी सोनी, कुसुम सोनी, कंचन सुराह आदि श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। कार्यक्रम की पावन श्रृंखला में राधेश्याम सुखवाल महाराज द्वारा  गणपति स्थापना, चाक माताजी पूजन, शालिग्राम अभिषेक, शक्तिपीठ उत्पत्ति कथा के महत्व  प्रकाश डाला गया तथा हल्दी मेहंदी मोसारा भात की परंपरा का निर्वहन किया गया। आज शुक्रवार 29 मार्च को बारात तुलसी विवाह के साथ ही कार्यक्रम का विश्राम होगा।  

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