BIG NEWS : शहर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व पार्षद महेंद्र मोनू लोक्स ने उठाया बड़ा सवाल, 2008 में शंकरलाल को भूमि आवंटन का विधायक ने किया था विरोध, फिर ऐसा क्या जादू हुआ, जो दे रहे साथ...? पुनर्वास की भूमि हाथ से निकली, तो नपा को 50 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान, पढ़े खबर 

May 6, 2024, 6:51 pm




नीमच। सिंधी कॉलोनी स्थित पुनर्वास भूमि को मंदसौर निवासी शंकरलाल चंदानी को आवंटित करने का 2008 विधायक दिलीपसिंह परिहार ने विरोध किया था। साथ ही मामले में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी को पत्र भी लिखा था, लेकिन बीते 16 साल में ऐसा क्या जादू हुआ कि शंकरलाल को भूमि आवंटन का प्रखर विरोधी रहा पार्षद मनोहर मोटवानी भूमि आवंटन के पक्ष में आ गया और विधायक ने भी अपने सुर बदल लिए। ऐसे में अब पुनर्वास की भूमि हाथ से निकलने पर नगरपालिका को 50 करोड़ रूपए के राजस्व का सीधे तौर पर नुकसान होगा...!  यह सवाल शहर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व पार्षद महेंद्र मोनू लोक्स ने उठाया है। उन्होंने कहा कि नीमच जनता का मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से सवाल है कि विवादित ढिल्लन भूखंड का भी नपाध्यक्ष स्वाति चौपड़ा ने अपने पति गौरव चौपड़ा की भागीदारी फर्म के नाम गुपचुप नामांतरण करा दिया... क्या नपाध्यक्ष का यह कृत्य कदाचार, भ्रष्टाचार व अनियमिता की श्रेणी में नहीं आता है...?  पूर्व पार्षद मोनू लोक्स ने कहा कि स्वाति चौपड़ा नगर पालिका अध्यक्ष ही इसलिए बनी है, ताकि अपने हित साध सके। नपाध्यक्ष को नीमच शहर की जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। हालात ये हैं कि नपाध्यक्ष स्वाति चौपड़ा पढी लिखी अध्यक्ष होने के बाद भी अज्ञानी बनी रहती है, जिसके बारे में खुद नपा के उज्जैन अटेच किए सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ बोल चुके हैं। सीएमओ ने यह तक कहा था कि सिंधी पुनर्वास की भूमि का केस नपा हार गई, इसका नपाध्यक्ष को पता नहीं होना समझ से परे हैं। क्योंकि फाईल तो नपाध्यक्ष के पास ही थी।  मोटवानी के बाद विधायक ने भी बदला सुर- शहर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व पार्षद मोनू लोक्स ने कहा कि सिंधी कॉलोनी के समीप मंदसौर निवासी शंकरलाल चंदानी को 29 जनवरी 2008 के नपा परिषद के सम्मेलन वर्तमान नपा सभापति व तत्कालीन पार्षद मनोहर मोटवानी ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा था कि शंकरलाल चंदानी को भूमि का आवंटन गलत हुआ है और ऐसा माहौल बनाया गया था कि तत्कालीन नपाध्यक्ष रघुराजसिंह चौरड़िया ने मामले में 5-6 पत्र शासन, पुनर्वास विभाग, कलेक्टर नीमच, कलेक्टर मंदसौर आदि को खिले थे। परिषद के सम्मेलन की प्रोसेडिंग कह रही है कि मोटवानी ने कहा था कि शंकरलाल चंदानी का क्लेम 1 लाख रूपए का था, पर उसे 4 करोड़ रूपए कीमती भूमि का आवंटन किया गया, जो पूरी तरह गलत है। इसके अलावा मनोहर मोटवानी ने सिंधी समाज के साथ ज्ञापन बाजी की थी, लेकिन विडंबना यह है कि जब जमीन की किमत 120 करोड़ रूपए पहुंच गई, तो खुद ही मोटवानी की नियत बदल गई और शंकरलाल चंदानी से सांठगांठ कर मनोहर मोटवानी ने प्रश्नाधीन भूमि की गुपचप तरिके से 9-10 रजिस्ट्रियां 2014 में करा दी, जबकि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था और अब हाईकोर्ट में वकील बदलकर नपा को केस हराकर ऐसा जादू किया कि, जो विधायक 16 साल पहले शंकरलाल चंदानी को भूमि आवंटन के खिलाफ थे, उनके भी सुर बदल गए हैं और अब वे भी शंकर चंदानी के पक्ष में बोल रहे हैं, जो कई सवालों जन्म दे रहा है।   अपने बचाव में सिर्फ दूसरों के मत्थे आरोप लगा रही है नपाध्यक्ष- पूर्व पार्षद मोनू लोक्स ने कहा कि नगरपालिका अध्यक्ष स्वाति चौपड़ा की हालात यह है कि उनका मकसद शहर विकास नहीं है, उन्हें तो अपने पति, सुसर और सभापति के नपा संबंधित तो लंबित मामले हैं, उनका निराकरण करना है, जिसमें से एक ढिल्लन भूखंड का नामांतरण कराने में वे कामयाब रही। ढिल्लन भूखंड उनके पति पार्टनर है, उनके चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामें ने ही साबित कर दिया है। पूर्व पार्षद ने कहा कि वर्तमान में शहर के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां गंदा पानी प्रदाय किया जा रहा है। कहीं पानी पहुंच ही नहीं रहा है। एक माह अंदर शहर में पानी की भारी किल्लत होने लगेगी, लेकिन नपाध्यक्ष स्वाति चौपड़ा को इस बात कोई सरोकार नहीं है। उन्हें तो सिर्फ अपने मकसब पूरे करने है। उन्होंने कहा कि नपाध्यक्ष के हालात ये हैं कि उन आरोप लगते हैं, तो वह उन पर स्पष्टीकरण देने के बजाए अपने बचाव में दूसरों के मत्थे आरोप लगाने लगती है ताकि लोग समझे कि यह तो इमानदार नपाध्यक्ष है, पर उनकी यह गलती है, नीमच की जनता जान चुकी है, जिसने वार्ड पार्षद से लेकर नपाध्यक्ष का चुनाव किस तरह जीता वह सिर्फ अपना ही भला कर सकती है, शहर का नहीं..!

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